महिंद्रा ट्रैक्टर्स ने किया Tractor Ke Khiladi प्रतियोगिता का आयोजन, तीन किसानों ने जीता 51 हजार रुपये तक का इनाम Mandi Bhav: गेहूं की कीमतों में गिरावट, लेकिन दाम MSP से ऊपर, इस मंडी में 6 हजार पहुंचा भाव IFFCO नैनो जिंक और नैनो कॉपर को भी केंद्र की मंजूरी, तीन साल के लिए किया अधिसूचित Small Business Ideas: कम लागत में शुरू करें ये 2 छोटे बिजनेस, सरकार से मिलेगा लोन और सब्सिडी की सुविधा एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! सबसे अधिक दूध देने वाली गाय की नस्ल, जानें पहचान और खासियत
Updated on: 25 August, 2020 1:40 PM IST

मत्स्य पालन में बायो-फ्लॉक तकनीक के माध्यम से एक्वाकल्चर को बढ़ावा देने के लिए, ओडिशा राज्य सरकार किसानों के लिए एक नई योजना लेकर आई है. दरअसल सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की एक विज्ञप्ति के अनुसार, यह एक उन्नत मछली पालन तकनीक है जो ओडिशा में उद्यमियों, बेरोजगार युवाओं और इच्छुक प्रगतिशील मछली किसानों को आजीविका सहायता प्रदान करने के लिए शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य राज्य में मछली उत्पादकता बढ़ाना और राज्य को आत्मनिर्भर बनाना है.

बायोफ्लॉक तकनीक आधारित मछली पालन

बायोफ्लॉक तकनीक एक आधुनिक व वैज्ञानिक तरीका है. मछली पालन के इस तकनीक को अपनाते हुए मत्स्य पालक न सिर्फ नीली क्रांति के अग्रदूत बनेंगे बल्कि बेरोजगारी से भी मुक्ति मिलेगी. बायोफ्लॉक तकनीक के माध्यम से किसान बिना तालाब की खुदाई किए एक टैंक में मछली पालन कर सकेंगे. मछली और झींगा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नवीनतम तकनीक है.

खबरों के मुताबिक, "एक व्यक्ति जिसके पास एक छोटी भूमि है (जो कि 150 से 200 वर्ग मीटर भूमि के बराबर है) वह नगर निगम की पाइप लाइन से पानी की आपूर्ति करके छोटे निवेश के साथ इस व्यवसाय को शुरू कर सकता है". इस नई योजना का उद्देश्य मछली किसानों के साथ-साथ युवा उद्यमियों को आय और आजीविका सहायता के सृजन में मदद करना है.

ये खबर भी पढ़े: बायोफ्लॉक तकनीक से मत्स्य पालन में आई नई लहर, होगा अधिक मछली का उत्पादन

इसके अलावा "बायोफ्लॉक तकनीक स्थानीय बाजार की माँगों के आधार पर मीठे पानी की मछलियों जैसे गिफ्ट तिलपिया, पंगासियस, मैगुर, कॉमन कार्प, एनाबास आदि के लिए उपयुक्त है. बायोफ्लॉक तकनीक में, फ़ीड की तरह टैंक में अपशिष्ट कार्बनिक पदार्थ. अपशिष्ट, प्रोबायोटिक्स (सहायक बैक्टीरिया) और कार्बन स्रोत जैसे कि गुड़ के उपयोग से पच जाता है और मछली फ़ीड में परिवर्तित हो जाता है”.

बायोफ्लॉक तकनीक से लाभ

इस तकनीकी से 10 हजार लीटर क्षमता के टैंक (एक बार की लागत रु. 32 हजार, 5 वर्ष हेतु) से लगभग छः माह (पालन लागत रु. 24 हजार) में विक्रय योग्य 3.4 किंवटल मछली ( मूल्य 40 हजार) का उत्पादन कर अतरिक्त आय प्राप्त की जा सकती है. इस तरह वार्षिक शुद्ध लाभ रु. 25 हजार एक टैंक से प्राप्त किया जा सकता है. यदि मंहगी मछलियों का उत्पादन किया जाये तो यह लाभ 4.5 गुना अधिक हो सकता है.

English Summary: How to start fish farming with biofloc techniques
Published on: 25 August 2020, 01:50 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now