दुनिया में हर जगह ड्रैगन फ्रूट के नाम से बिकने वाला फल गुजरात में आज से कमलम हो गया है. जी हां, गुजरात सरकार ने इस फल का नाम ड्रैगन फ्रूट से बदलकर कमलम कर दिया है. इस बारे में सरकार का तर्क यह है कि ड्रैगन शब्द हमारी संस्कृति से मेल नहीं खाता और अनजाने में ही हम चीनी मानसिकता को बढ़ावा दे रहे हैं.
संस्कृत भाषा का शब्द है कमलम
गौरतलब है कि कमलम नाम संस्कृत भाषा से लिया गया है, इस बारे में गुजरात सरकार ने इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चरल रिसर्च को एक याचिका भी भेजी है, जिसमें कहा गया है कि इस फल का आकार किसी कमल की तरह दिखाई देता है, इसलिए इसे कमलम कहा जाए.
गुजरात में होती है सबसे अधिक खेती
बता दें कि भारत में सबसे अधिक ड्रैगन फ्रूट की खेती गुजरात के कच्छ और दक्षिण गुजरात के नवसारी क्षेत्रों में ही हो रही है. इस बात का जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कार्यक्रम मन की बात (26 जुलाई 2020) में कर चुके हैं.
दक्षिण अमेरिका का है मूल फल
ड्रैगन फ्रूट का सुनते ही लोगों को संदेह होता है कि ये फल चीन का है. जबकि वैज्ञानिकों के मुताबिक इसका मूल निवास दक्षिण अमेरिका है और वहीं से फिर ये विश्व के अलग-अलग देशों में आया है.
वैज्ञानिक नाम
इस फल का वैज्ञानिक नाम हिलोकेरेस अंडटस है और यह ऐसा फल है, जो एक तरह से किसी बेल पर लगता है. कुछ शोधों में इसका संबंध कैक्टेसिया फैमिली से भी बताया जाता है. इसके तने सबसे अधिक गूदेदार होते हैं, जिसमें लबालब रस भरा होता है.
दो तरह के होते हैं ड्रैगन फ्रूट
ड्रैगन फ्रूट दो प्रकार के होते हैं, सफेद गूदे वाले और लाल गूदे वाले. इसके फूलों में खास तरह की सुगंध होती है, जि सिर्फ रात के समय ही महसूस होती है. इसके फूल भी सिर्फ रात के समय ही खिलते हैं.
इन जगहों पर होती है सबसे अधिक खेती
आज के समय में वैसे तो यह लगभग दुनिया के कोने-कोने में पहुंच गया है, लेकिन इसकी खेती सबसे अधिक पटाया, न्यू साउथ वेल्स, क्वींसलैंड और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में होती है.
इस तरह खाया जाता है
इस फल का सेवन फ्रूट चाट या सलाद के रूप में सबसे अधिक होता है. इसके अलावा इससे मुरब्बा, कैंडी या जेली भी बनाएं जाते हैं. आज महानगरों में लोग इसे शेक के रूप में भी पी रहे हैं.