प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बेहतरीन कदम उठाया है. ऐसे में प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के लिए एक अच्छी ख़बर आई है. आपको बता दें कि कृषि मंत्रालय ने देश में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन के लिए एक नई केंद्रीय योजना के साथ तैयार है.
सूत्रों के हवाले से मिली ख़बरों के मुताबिक, इस योजना पर अनुमानत: 2,500 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. इस प्रस्तावित नई योजना को जल्द मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए रखा जाएगा.
प्रधानमंत्री ने पिछले साल दिसंबर में गुजरात में प्राकृतिक खेती पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि उर्वरक और कीटनाशक आधारित खेती के विकल्प की तलाश करने की जरूरत है. उसके कुछ माह बाद यह नई योजना बनाई गई है. वहीँ दूसरी और अमित शाह ने रासायनिक खेती के दुर्प्रभाव को लेकर लोगों के बीच जागरूकता भी फैलाई थी और कहा रासायनिक खाद का कम से कम उपयोग करें और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दें. इससे मानव शरीर पर भी किसी तरह का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी बढ़ेगी.
प्राकृतिक खेती का कोई ‘साइड इफेक्ट’ नहीं (No 'side effects' of organic farming)
प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक खेती को लेकर कहा अधिक उत्पाद और अच्छी गुणवत्ता के लिए यह बेहतर विकल्प है. जिनका कोई ‘साइड इफेक्ट’ नहीं होता.
‘‘हितधारकों के साथ कई दौर की बातचीत के बाद प्राकृतिक खेती पर एक योजना का ढांचा तैयार किया गया है. इस योजना का मकसद खेती की मौजूदा प्रणाली को बाधित किए बिना प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देना है.’’ ताकि किसानों के साथ-साथ कृषि व्यवस्था को भी किसी तरह का कोई नुकसान ना हो और एक बेहतर विकल्प किसान भाइयों को मिल सके.
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आम बजट 2022 में भी शामिल थी प्राकृतिक खेती (Natural farming was also included in the general budget 2022)
इस बार के आम बजट में भी प्राकृतिक खेती को लेकर वित्त मंत्री ने काफी जोर दिया है. आने वाले समय की मांग और परिस्थिति को देखते हुए यह कहा गया कि यह किसानों के लिए बेहतर विकल्प बन के सामने आएगा. जिसको लेकर सरकार ने अपनी और से भी कई कदम उठाए हैं.
इसके अलावा उन्हें विस्तारित सेवाएं भी प्रदान की जाएंगी. उल्लेखनीय है कि सरकार ने आम बजट 2022 में देशभर में रसायन-मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की घोषणा की थी. इसकी शुरुआत गंगा नदी के साथ पांच किलोमीटर के गलियारे वाले खेतों के साथ होनी थी.