बकरी पालन (Goat Farming) को किसानों और पशपालकों की आमदनी बढ़ाने का एक मुख्य स्त्रोत माना जाता है. बकरी पालन का व्यवसाय कम लागत और सामान्य रख-रखाव में आय का अच्छा साधन माना गया है.
इसके चलते 15 नवंबर से एमपी स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन जनजातीय क्षेत्रों में बकरी के दूध (Goat milk) का संकलन शुरू करेगा. इस पहल से आदिवासी लोगों की आमदनी (Income) में बढ़ोत्तरी होगी.
प्रबंध संचालक शमीमुद्दीन द्वारा जानकारी दी गई है कि फेडरेशन संचालित दुग्ध संघों द्वारा रोजाना लगभग साढ़े तीन करोड़ रुपए की राशि का हस्तांतरण शहरी अर्थ-व्यवस्था से ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था में किया जा रहा है. वहीं, दुग्ध संघों द्वारा 7 हजार से अधिक दुग्ध सहकारी समितियों के 2.5 लाख सदस्यों के माध्यम से रोजाना 10 लाख लीटर दूध का संकलन किया जा रहा है.
उन्होंने आगे कहा कि पशुपालन (Animal Husbandry) और मत्स्य पालन, दोनों ही क्षेत्रों से आमदनी में इजाफा हुआ है. कोरोना व लॉकडाउन के दौरान भी कई रोजगार प्रभावित हुए थे, लेकिन सभी 6 दुग्ध संघों द्वारा दुग्ध उत्पादक किसानों से 2 करोड़ 54 लाख लीटर दूध अतिरिक्त रूप से खरीदा गया. इसके लिए दुग्ध उत्पादकों को 94 करोड़ रूपए का अतिरिक्त भुगतान हुआ. इसके साथ ही उन्हें एक महत्वपूर्ण आर्थिक संबल मिला.
नए उत्पादों का विकास
दुग्ध संघों द्वारा नवीन उत्पादों का निर्माण का किया जा रहा है. इंदौर में आइसक्रीम (Ice cream) और जबलपुर में पनीर संयंत्र की स्थापना हुई, तो वहीं सागर तथा खंडवा में नवीन दुग्ध प्र-संस्करण स्थापित भी हुए. इंदौर में दुग्ध चूर्ण निर्माण में आत्म-निर्भरता के मद्देनजर 30 मीट्रिक टन क्षमता के संयंत्र की स्थापना की जा रही है. इतना ही नहीं, दूध, घी, दही, पेड़े, मट्ठा, श्रीखंड, पनीर, छेना रबड़ी, गुलाब जामुन, रसगुल्ले, आइस्क्रीम, शुगर-फ्री पेड़ा, मिल्क केक, मीठा दही, फ्लेवर्ड मिल्क आदि गुणवत्ता के चलते काफी लोकप्रिय किए जा रहे हैं.
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दूध में नहीं हो सकेगी मिलावट
इसके साथ ही मध्य प्रदेश में दूध में मिलावट भी नहीं हो पाएगी, क्योंकि दुग्ध संकलन करने वाले टैंकरों में डिजिटल लॉक (Digital lock) और व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम लगा है. दुग्ध संघों में वेब आधारित ईआरपी सॉफ्टवेयर है, ताकि दूध संकलन से दूध वितरण तक की संपूर्ण प्रक्रिया एकीकृत कंप्यूटर सॉफ्टवेयर से संचालित हो सके.
दुग्ध उत्पादकों को सुविधाएं
जानकारी के लिए बता दें कि दुग्ध सहकारी समितियों द्वारा दुग्ध उत्पादकों को विक्रय के अतिरिक्त कई सुविधाएं दी जा रही हैं. इनमें उचित मूल्य पर पशु आहार, चारा बीज, पशु नस्ल सुधार, पशु प्रबंधन प्रशिक्षण, किसान क्रेडिट कार्ड, पशुओं की डी-वार्मिंग, बच्चों के लिए पुरस्कार योजना और बीमा योजना आदि शामिल हैं. इन सभी सुविधाओं का आसानी का लाभ दिया जा रहा है.