किसानों को फसल की लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य देने की पिछले कई वर्षो से भारतीय किसान संघ की मांग चलती आ रही है. अभी तक किसी भी सरकार ने इस समस्या का हल करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया. किसान जो उत्पादन करता है परंतु उसके मूल्य निर्धारण करने का अधिकार उसके पास नहीं है. उत्पाद का लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य न मिलने के कारण किसान की रोजमर्रा की समस्याऐं ज्यों की त्यों हैं. इसलिए किसानों को लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य देने की व्यवस्था होनी ही चाहिए.
किसानों ने राष्ट्र को कृषि उत्पादों में स्वावलम्बी करने की जिम्मेदारी पूर्ण की है, अब सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि किसानों के कृषि उत्पादों की लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने की व्यवस्था बनाये. यद्धि सरकार का किसान सम्मान निधि सही दिशा में एक अच्छा कदम है, लेकिन वह अपर्याप्त है. जब यह लागू हुआ तब किसानों ने उसका खुले दिल से स्वागत किया था. लेकिन वर्ष 2022 की किसान सम्मान निधि 6000 रु. प्रति वर्ष आज की स्थिति में सारे आदानों में हुए मूल्य वृद्धि के कारण बहुत ही कम है. इसलिए किसान सम्मान निधि (Kisan Samman Nidhi) को आदानों में मूल्य वृद्धि के साथ जोड़ते हुए उसके वृद्धि की व्यवस्था होनी चाहिए.
किसान खाद्यान उत्पादन के लिए बीज, खाद्, औषधि, औजार जैसे आदानों को खरीदी पर जी.एस.टी. देता है. आदानों पर दिये गये जी.एस.टी. का इनपुट क्रेडिट किसानों को रिफंड नही होता है जबकि कानून में उत्पादक को जी.एस.टी. क्रेडिट देने की व्यवस्था है. यह किसानों के साथ घोर अन्याय है, इसलिए कृषि आदानों से जी.एस.टी. को समाप्त किया जाऐ. हाल ही में पर्यावरण मंत्रालय ने जी.एम. सरसों को अनुमति दे दी है. एक ओर आप प्राकृतिक खेती, जैव विविधत्ता, मधुमक्खी पालन और पंचमहाभूत के संरक्षण की बात करते है, दूसरी ओर पर्यावरण मंत्रालय इन सभी के एकदम विपरित जी.एम. फसलों की तरफदारी कर रहा है. जी.एम. के कारण फसल का उत्पादन बढ़ेगा ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है, बल्कि जैव विविधता को यह नष्ट करेगा. खरपतवारनाशी के प्रयोग के कारण कैंसर का खतरा बढ़ेगा तथा औषधीय पौधे समाप्त होगें. मधुमक्खी को हानी पहुंचायेगा. इस पर गंभीरता से सोचते हुए इस आदेश को तत्काल वापिस लिया जाए.
किसान प्रतिनिधि पहुंचे रामलीला मैदान
लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य के साथ कृषि और किसानों के हित में सरकार कदम उठायें, यह मांग भारतीय किसान संघ अपने स्थापना वर्ष 1979 से करते आ रहा है. ग्राम-तहसील/ विकासखण्ड से लेकर राजधानी दिल्ली तक सेकड़ों बार धरने, मोर्चा, ज्ञापन देना जैसे प्रदर्शनों से सरकार का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया है, इसी क्रम में आज देशभर के किसान प्रतिनिधि बड़ी संख्या में रामलीला मैदान राजधानी दिल्ली में उपस्थित होकर अपनी आवाज बुलंद करते हुए सरकार के सामने अपनी निम्न मांगे रख रहे हैं.
मांगे
फसल के लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य देना सुनिश्चित करें.
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में आदानों की दर वृद्धि के अनुपात में वृद्धि हो .
कृषि आदानों को जी.एस.टी. मुक्त करें.
जी. एम. फसलों को दी गई अनुमति तत्काल रद्द करें.
आशा है कि आप इन मुद्दो पर गंभीरता से विचार करते हुए सकारात्मक कदम उठाएंगे.