पंजाब सरकार ने किसानों के आर्थिक बोज को कम करने के लिए एक बढ़ा कदम उठाया है. राज्य सरकार ने एक बार फिर से धान की चर्चित किस्म पूसा-44 को बैन कर दिया है. इसके साथ ही कुछ अन्य हाइब्रिड किस्मों को भी आगामी खरीफ सीजन में प्रतिबंधित कर दिया गया है. सरकार का यह फैसला राज्य में भूजल संकट को देखते हुए लिया गया है ताकि वह अच्छे से अपनी खेती कर सके और अपनी लागत को कम कर मुनाफे को बढ़ा सके.
पंजाब सरकार का यह फैसला राज्य की पर्यावरणीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. अब देखना होगा कि किसान और बीज विक्रेता इस फैसले का कितना पालन करते हैं. आइए इसके बारे में यहां विस्तार से जानते हैं...
जानिए क्यों बैन हुई पूसा-44 किस्म?
- पूसा-44 एक लंबी अवधि वाली धान की किस्म है, जो पकने में 143 दिन लेती है.
- इसे उगाने के लिए खेतों को करीब 50 दिन ज्यादा समय तक जोतना पड़ता है.
- इस किस्म को तैयार करने में काफी ज्यादा पानी खर्च होता है.
- पंजाब सरकार का दावा है कि इस किस्म को बैन करने से पिछले साल 477 करोड़ रुपये की बिजली की बचत हुई.
धान में नमी ज्यादा, MSP पर बेचना मुश्किल
- इस किस्म को काटने के समय नमी का स्तर 17% से ज्यादा होता है, जिससे इसे MSP पर बेचना कठिन हो जाता है.
- चावल मिलिंग इंडस्ट्री का कहना है कि इस किस्म में 50% दाने टूट जाते हैं, जो मिलिंग के दौरान नुकसानदायक होता है.
बीज डीलरों को साफ निर्देश
- सरकार ने बीज विक्रेताओं को निर्देश दिए हैं कि वे पूसा-44 का बीज न बेचें.
- इसके बावजूद कई किसान पहले ही प्राइवेट डीलरों से बीज खरीद चुके हैं, खासतौर पर हरियाणा के करनाल से.
पिछले साल कितना हुआ था उत्पादन?
- 2023 में 86 लाख हेक्टेयर में पूसा-44 की बुआई हुई थी.
- 2022 में यह आंकड़ा 67 लाख हेक्टेयर था.
- 2024 में अनुमान है कि 2 लाख हेक्टेयर में इसकी खेती हुई है.
अब कौन सी किस्में उगाएंगे किसान?
अधिकतर किसानों ने इस बार पीआर-126 और पीआर-131 किस्में/PR-126 and PR-131 varieties उगाने की योजना बनाई है, जो कम समय में पकने वाली और कम पानी खर्च करने वाली किस्में हैं.