मोदी सरकार द्वारा किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) बढ़ाने का अहम फैसला लिया गया है. दरअसल, आर्थिक मामलो की मंत्रीमंडलीय समिति की एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें रबी सीजन की फसलों (Rabi Season Crops) की कीमत बढ़ाने का अहम फैसला लिया गया.
इसके तहत केंद्र सरकार द्वारा करीब 6 तरह के अनाजों का समर्थन मूल्य बढ़ा गया है. खास बात यह है कि पहली बार गेहूं का सरकारी मूल्य 2000 पार हुआ. बता दें कि इस बार न्यूनतम समर्थन मूल्य की कीमत 1975 को बढ़ाकर 2015 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया है.
इस साल गेहूं की कीमत में इजाफा (Wheat price hike this year)
देश के किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) में 40 रुपए का इजाफा किया गया है, जो साल 2021-22 में 1975 रुपए प्रति क्विंटल रही है. यानि जब किसान अपनी गेहूं को बाजार में बेचने जाएंगे, तब उन्हें 2015 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से फसल बेचनी होगी.
आंकड़ों की मानें, तो गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price साल 2021-22 में 1975 रुपए क्विंटल है, जिसकी लागत मूल्य 960 रुपए प्रति क्विंटल तय की गई. मगर अब लागत मूल्य को बढ़ाकर 1008 रुपए कर दिया गया है.
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Union Minister of Agriculture and Farmers Welfare Narendra Singh Tomar) द्वारा ट्वीट कर जानकारी दी गई कि विपणन सीजन 2022-23 के लिए रबी फसलों के लिए एमएसपी में बढोत्तरी की गई, जो केंद्रीय बजट 2018-19 में घोषित लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर एमएसपी तय करने के सिद्धांत के अनुरूप है. इस फैसले से किसानों की आमदनी में अच्छी बढ़ोत्तरी होगी.
गेहूं की कीमत में बढ़ोत्तरी (Wheat Price Hike)
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साल 2014 में 1400 रुपए प्रति क्विंटल, जिस साल 2017 -18 में 100 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाकर 1625 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया.
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साल 2018-19 में 110 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाकर 1735 रुपए प्रति क्विंटल किया गया.
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अगले साल 2019-20 में 105 रुपए बढ़ाकर 1840 रुपए प्रति क्विंटल हो गया.
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साल 2020-21 में 85 रुपए बढ़ाकर 1925 रुपए प्रति क्विंटल किया गया.
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साल 2021-22 में बढ़ाकर 1975 रुपए प्रति क्विंटल किया गया, जिसकी अब कीमत 2015 की गई है.
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इस तरह गेहूं की एमएसपी लगभग डेढ़ गुना हो गई है.
जानकारी के लिए बता दें कि गेहूं की सरकारी खरीददारी साल 2014 -15 में तकरीबन 86.53 मिलियन टन थी, जो अब बढ़कर तकरीबन 109.52 मिलियन टन आनुमानित की गई है. इस तरह सरकारी खरीद में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है, जिससे किसानों को अच्छा लाभ मिल होगा.