पश्चिम बंगाल के कुछ जिलों में पान की अच्छी खेती होती है. बंगाल के उत्तम जलवायु और वर्षा से परिपूर्ण उच्च गुणवत्ता वाले पान की मांग विदेशों में भी मांग है. इसलिए एक तरह से यह नकदी फसल है. पश्चिम बंगाल में किसानों का एक बड़ा तबका अपनी आजीविका के लिए पान की खेती पर निर्भर करता है. इस बार पान की पत्तियां जिस तरह खेतों में लहलहा रही थी उससे किसानों में अच्छी खासी आय करने की उम्मीदें जगी थी लेकिन तक्रवाती तूफान ‘अंफान’ ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. ‘अंफान’ ने पश्चिम बंगाल में पान की खेती को तहस नहस कर दिया. बेचारे किसान सिर पटककर रह गए. लेकिन प्रकृति के आगे मानव विवश है.
राज्य सरकार ने किसानों को आर्थिक मदद करने के लिए सहयोग का हाथ बढ़ाया है. ममता सरकार ने पूर्व मेदिनीपुर के पान किसानों के लिए 5 करोड़, पश्चिम मेदिनीपुर के लिए 5 करोड़ और दक्षिण 24 परगना जिले के पान किसानों के लिए 10 करोड़ रुपए की क्षतिपूर्ति राशि आवंटित की है. संबंधित जिला प्रशासन की ओर क्षतिग्रस्त प्रत्येक पान किसान को 10 हजार और 5 हजार रुपए करके चेक विकतित किए जा रहे हैं. सरकार की ओर से दी गई इस एकमुश्त क्षतिपूर्ति की राशि से क्षतिग्रस्त पान किसानों को कुछ राहत मिलेगी. जिला बागवानी दफ्तर व कृषि विभाग के सूत्रों के मुताबिक अंफान की चटेप में आकर इन जिलों में पान की 80 प्रतिशत तैयार हरी पत्तियां नष्ट हो गई है.
उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल के तटवर्ती क्षेत्र की मिट्टी, पानी व जलवायु पान की खेती के लिए उत्तम मानी जाती है. राज्य के लगभग 20 हजार हेक्टेयर में पान की खेती होती है और करीब 5 लाख किसानों की आजीविका इस पर निर्भर करती है. भारत में 55 हजार हेक्टयरर भूमि पर पान की खेती होती है और सालाना 9 हजार करोड़ रुपए का कारोबार होता है. भारत में लोग पान चबाना पंसद करते हैं. इसके अतिरिक्त पान की गहरी हरी पत्तियों का इस्तेमाल पूजा-पाठ व अन्य धार्मिक आयोजनों में करना शुभ माना जाता है. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक पान सेहत के लिए कई दृष्टिकोण से फायदेमंद है. पान चबाने से पेट में गैस की समस्या दूर होती है और पाचन तंत्र मजबूत होता है. अगर किसी कारण आपके मुंह में हमेशा दुर्गंध आता है तो पान चबाने से वह खत्म हो जाता है. कब्ज के रोगियोंक लिए पान फायदेमंद है. इसके अतिरिक्त पान के रस का इस्तेमाल विभन्न तरह की दवा बनाने में किया जाता है जो असाध्य रोगों को दूर करता है.
भारत में पान की खेती आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडू समेत कुछ मात्रा में बिहार, असम, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में भी होती है. विश्व भर में 90 तरह के पान के किस्में पाये जाते हैं जिसमें आधा 45 किस्में भारत के हैं. इसमें भी अकेले 30 किस्म के पान का उत्पादन पश्चिम बंगाल करता है. देश के पान उत्पादन में पश्चिम बंगाल की भागीदारी 66 प्रतिशत है. भारत में उत्पादित पान की खपत स्थानीय बाजारों में होती है और अतिरिक्त को विदेशों में निर्यात किया जाता है. देश में अलग-अलग किस्म के पान का स्थानीय भाषा में अलग-अलग नाम है. लेकिन पूरे देश में यह गहरे हरे रंग की पत्तियां पान के नाम से ही मशहूर है. इसका वैज्ञानिक नाम पीपर बेटेल है. औषधि, परफ्युम और टॉनिक तैयार करने में पान के रस का इस्तेमाल होने के कारण इसकी खेती आर्थिक रूप से किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है.
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