गेहूं देश में रबी के प्रमुख फसलों में से एक है. वहीं, इसकी खेती देश के लगभग 97% क्षेत्रों में की जाती है. प्रोटीन की मात्रा अधिक होने की वजह से ज्यादातर लोग इसका उपयोग अपने खान पान में करते आए हैं. ऐसे में इसकी उपज को बढ़ाने के लिए किसान और सरकार दोनों प्रयासरत हैं.
गेहूं की खेती हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और बिहार में रबी सीजन में मुख्य तौर पर की जाती हैं. वहीं, गेहूं का इस्तेमाल कई चीजों को बनाने में किया जाता है, इस वजह से इसकी मांग देश भर में काफी अधिक है. देश में अक्टूबर के आखिरी हफ्ते से गेहूं की बुवाई शुरु होने जा रही है. वहीं, सरकार ने साल 2021-22 के लिए गेहूं उत्पादन का लक्ष्य 110 मिलियन टन रखा है.
वहीं, पिछले आकड़ों को दर्शाते हुए कृषि मंत्रालय ने 2021-22 के लिए मुख्य खरीफ की फसलों के उत्पादन का पहला अनुमान जारी कर दिया है. जिसके मुताबिक देश में खरीफ सीजन में 150.50 मिलियन टन रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान है. जिसमें 107.04 मिलिटन टन चावल का उत्पादन अनुमानित है, जो एक रिकॉर्ड है.
किसानों की जानकारी और उनको दिलचस्पी को और बढ़ाने हेतु कृषि भवन में रबी फसलों के लिए आयोजित राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने रबी की फसलों की तैयारियों पर चर्चा की, जिसमें केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि देश में खरीफ सीजन बेहतर रहा है. रबी सीजन की दृष्टि से राज्यों की अपेक्षाओं को केंद्र सरकार पूरा कर रही है. हालाँकि कृषि क्ष्रत्रों में कई ऐसी चुनौतियां है, जिन पर परस्पर सहयोग के माधयम से हम लक्ष्य की ओर आगे बढ़ सकेंगें
सरकार के मुताबिक रबी सीजन के लिए गेहूं के 140.89 लाख कुंटल बीज की जरुरत होगी, जिसके सापेक्ष में 152.1 लाख कुंटल यानि करीब 11.12 फीसदी गेहूं का अतिरिक्त बीज हमारे पास है. सरसों के लिए 2.51 लाख कुंटल बीज के अनुमान के मुकाबले करीब 2.67 लाख कुंटल बीज है. सरकार ने रासायनिक खादों के लिए मांग और उपलब्धता का अनुमानित आंकड़ा जारी किया है.
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के मुताबिक साल 2020-21 में करीब 172.60 लाख टन यूरिया की खपत हुई जबकि अनुमानित आवश्यकता 190.60 लाख टन आंकी गई थी. साल 2021-22 के लिए 181.65 लाख टन की आवश्यकता अनुमानित है. इसी तरह साल 2020-21 में 56.15 लाख टन डीएपी अनुमान था जबकि खपत 65.15 लाख टन की हुई थी. 2021-22 के लिए 58.71 लाख टन डीएपी की जरुरत अनुमानित है.
कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने कहा कि परिषद किसानों को हरसंभव सहयोग कर रही है उन्हें किसी तरह की कोई दिक्कत या जानकारी का आभाव न हो इस बात का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है.
महापात्र ने कहा नई फसल किस्मों से किसानों को फायदा होगा क्योंकि यह देखा गया है कि नई किस्मों वाली फसल की खेती करना आसान होता है. ऐसे में महापात्र को उम्मीद है की किसानों को इससे काफी मदद मिलेगी. कृषि उत्पादन आयुक्त डा. एस.के. मल्होत्रा ने प्रेजेन्टेशन के माध्यम से खरीफ में फसलों की वर्तमान स्थिति तथा आगामी रबी सीजन का परिदृश्य (लैंडस्केप) बताया. सम्मेलन में केंद्रीय मंत्रालयों तथा सभी राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लेकर इस कार्यक्रम को पूरी तरह से किसानों के लिए सफल बनाया. साथ ही मिली जानकारी से देशभर में फसलों की खेती और उसकी खपत का आकड़ा भी सामने आया.