देश के किसानों को केंद्रीय सरकार ने दिवाली से पहले बड़ा तोहफा दिया है. भारत सरकार ने बीत कल (बुधवार) को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. केंद्रीय सरकार ने जिंस से चावल के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए गैर-बासमती सफेद चावल की निर्यात खेप पर 490 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को हटा दिया है. विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की ओर से जारी किए गए अधिसूचना के अनुसार, "गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात के लिए एमईपी की आवश्यकता तत्काल प्रभाव से हटा दी गई है."
बता दें कि सरकार ने पिछले महीने 28 सितंबर को गैर-बासमती सफेद चावल/Non-Basmati White Rice को लेकर विदेशी खेपों पर पूर्ण प्रतिबंध हटा लिया था और न्यूनतम निर्यात मूल्य लागू किया था. सरकार की तरफ से यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब देश के सरकारी गोदामों/ Government Warehouses में चावल का पर्याप्त मात्रा में स्टॉक मौजूद है और साथ ही खुदरा कीमतें भी अभी नियंत्रण में हैं.
किसानों को मिलेगा फायदा
गैर-बासमती सफेद चावल/Non-Basmati White Rice की निर्यात खेप पर न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को हटा से किसानों का आय में भी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी. क्योंकि अब भारतीय कंपनियां विदेशों में गैर बासमती सफेद चावल को अपनी कीमत के अनुसार बेच सकती है. इस चावल पर न्यूनतम निर्यात मूल्य हटाने से पहले कंपनी चावल का निर्यात तय कीमत से कम पर ही करने की अनुमति नहीं दी गई थी. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.
इन देशों में थी पहले निर्यात की अनुमति
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गैर बासमती सफेद चावल को न्यूनतम निर्यात मूल्य/ Minimum Export Price हटाने से पहले मालदीव, मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और अफ्रीका जैसे मित्र देशों को निर्यात खेप करने की अनुमति थी. अब से कंपनियां अन्य देशों में भी इनका निर्यात खेप उचित दामों पर कर पाएंगी.
गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात का आंकड़ा
भारत में गैर देश से गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पाबंदी के चलते काफी गिरावट देखने को मिली है. देखा जाए तो पिछले दो साल पहले देश में गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात/Export of Non-Basmati White Rice करीब 200 लाख टन से भी कहीं अधिक था और साथ ही वैश्विक बाजार में भारत की चावल हिस्सेदारी करीब 40% तक थी.