आधुनिक समय में हर एक व्यक्ति कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाना चाहता है, यदि आप गांव में रहते हैं और अच्छे रोजगार की तलाश कर रहे हैं, तो आपके के लिए मशरूम उत्पादन और कुक्कुट पालन का व्यवसाय (Mushroom production and poultry farming business) अच्छा ऑप्शन साबित हो सकता है
इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए सरकार की तरफ से भी आर्थिक तौर पर मदद की जाती है. इसके अलावा इन व्यवसाय को अच्छे से चलाने के लिए लोगों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है.
आपको बता दें कि मशरूम उत्पादन और कुक्कुट पालन के लिए पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय (Pantnagar Agricultural University) की ओर से 18 अप्रैल 2022 को प्रशिक्षण शुरू होने जा रहा है. विश्वविद्यालय की तरफ से यह प्रशिक्षण 18 अप्रैल से शुरू होकर 21 अप्रैल तक चलेगा. यह प्रशिक्षण उत्तराखंड स्थिति गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (Institute of Technology) की ओर से किसानों के लिए एक बेहतरीन अवसर है, जिसमें वह मशरूम उत्पादन (mushroom production) की नई तकनीक और कुक्कुट पालन (poultry farming) के संबंध में सभी जरूरी जानकारी को एकत्रित कर सकते हैं.
किन-किन लोगों को दिया जाएगा प्रशिक्षण (Who will be given training?)
- यह प्रशिक्षण राज्य के उन सभी किसान भाइयों को दिया जाएगा, जिनकी आयु18 वर्ष से अधिक होगी.
- विश्वविद्यालय के यह भी ऐलान किया हैकि इस प्रशिक्षण में लोगों का चयन पहले आओ पहले पाओ के आधार पर होगा.
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प्रशिक्षण के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया (Registration process for training)
इस प्रशिक्षण में आपको भाग लेने के लिए सबसे पहले रजिस्ट्रेशन करना होगा. इसके बाद विश्वविद्यालय की ओर से लगभग 30 से 35 लोगों का चयन किया जाएगा. किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय ने रजिस्ट्रेशन (University registration) के लिए मोबाइल नंबर भी जारी किए है. इन मोबाइल नंबर की मदद से आप इस प्रशिक्षण से जुड़ी सभी जानकारी को प्राप्त कर सकते है और आसानी से रजिस्ट्रेशन भी करवा सकते हैं.
मोबाइल नंबर- 8958601733, 6397754608 और 7500241451
हरित क्रांति का प्रतीक गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय
गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय देश का पहला कृषि विश्वविद्यालय है, जिसका उद्घाटन पं. जवाहरलाल नेहरू ने 17 नवंबर, 1960 में किया था. सर्वप्रथम इसका नाम उत्तर प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय रखा गया था, लेकिन बाद में इसे बदलकर गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय रख दिया गया. यह भी कहा जाता है कि यह विश्वविद्यालय भारत में हरित क्रांति का मार्गदर्शक माना गया है.