सोमानी क्रॉस X-35 मूली की खेती से विक्की कुमार को मिली नई पहचान, कम समय और लागत में कर रहें है मोटी कमाई! MFOI 2024: ग्लोबल स्टार फार्मर स्पीकर के रूप में शामिल होगें सऊदी अरब के किसान यूसुफ अल मुतलक, ट्रफल्स की खेती से जुड़ा अनुभव करेंगे साझा! Kinnow Farming: किन्नू की खेती ने स्टिनू जैन को बनाया मालामाल, जानें कैसे कमा रहे हैं भारी मुनाफा! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 7 September, 2023 4:44 PM IST
Ginger of Bundelkhand will get GI tag

अदरक हर एक घर में इस्तेमाल होने वाली सामग्री है, जिसके प्रयोग से खाने का स्वाद व चाय का स्वाद बढ़ता है. देखा जाए तो भारत में अदरक का सबसे अधिक उपयोग चाय में किया जाता है. लोगों को अदरक की चाय बेहद पसंद होती है. इसकी इतनी अधिक लोकप्रियता को देखते हुए देश के कुछ राज्यों ने अदरक को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए आवेदन किया है.

दरअसल, उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में बरुआसागर का अदरक को जीआई टैग (Geographical Indication Tagging) दिलाने पर अधिक जोर दिया जा रहा है. बता दें कि सिद्धार्थनगर में काला नमक, धान, कौशांबी के अमरूद और मलिहाबाद के आम को पहले से ही GI टैग में शामिल किया गया है.

उत्तर प्रदेश के अदरक की खासियत

उत्तर प्रदेश के उद्यान विभाग का कहना है कि बुंदेलखंड में बरुआसागर का अदरक को जीआई टैग इसलिए दिया गया है क्योंकि बरुआसागर की लाल मिट्टी में उपजाई जाने वाली हल्दी और अदरक अच्छी मात्रा में उत्पादन व बढ़िया अदरक उगती है. मिली जानकारी के मुताबिक, इस शहर की अदरक की मांग देश-विदेश के बाजार में भी हमेशा बनी रहती है. इसकी इतनी अधिक मांग को देखते हुए जीआई टैग दिलाने के लिए आवेदन किया हुआ है. बताया जा रहा है कि नाबार्ड की ओर से एक प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है.

यह भी बताया जा रहा है कि बांदा जिले की मिट्टी में देसी अरहर, महोबा में पान और झांसी जिले में खट्टे फलों की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. इसके अलावा बरुआसागर के इलाकों में कंकरीली लाल मिट्टी अदरक, हल्दी और अरबी सहित अन्य सब्जियों की खेती किसानों के द्वारा अधिक मात्रा में की जाती है.

यह के अदरक में अधिक मात्रा में स्वाद होने का पीछे का मुख्य कारण यह भी है कि यहां के ज्यादातर किसान भाई अपनी फसलों में रासायनिक खादों का उपयोग करते हैं. देखा जाए तो यहां की अधिकतर खेती जैविक होती है.

उत्तर प्रदेश में किन-किन चीजों को मिला है जीआई टैग

उत्तर प्रदेश में कई सारी चीजों को जीआई टैग (GI Tag) में शामिल किया गया है. जैसे कि- मऊ के बैंगन, बुंदेलखंड की देसी अरहर दाल और बलिया के बोरो धान के अलावा मऊ जिले के गोठा कस्बे का गुड़,  सफेद कद्दू से बना आगरा का पेठा,  मथुरा का पेड़ा,  कालपी की गुजिया, संडीला का लड्डू, सहारनपुर की वुड क्राफ्ट,  मुरादाबाद के बर्तन, अलीगढ़ के ताले और खुर्जा का खुरचन जैसे खास उत्पाद इस फेहरिस्त में शामिल हैं.

मिली जानकारी के मुताबिक, राज्य में कुछ ऐसी भी सामग्री मौजूद हैं, जिन्होंने जीआई टैग के लिए आवेदन की प्रक्रिया को पूरा कर लिया है. लेकिन अभी तक उन्हें पूरी तरह से अपनी पहचान नहीं मिली है. जिनके नाम कुछ इस प्रकार से हैं. बाराबंकी एवं रामपुर का मेंथा,  फर्रुखाबाद का फुलवा आलू, सोनभद्र की चिरौंजी, कानपुर का लाल ज्वार, मीरजापुर का ज्वार एवं देशी बाजरा गोरखपुर का पनियाला,  मेरठ की गजक,  हाथरस का गुलाबजल और गुलकंद, एटा का चिकोरी एवं फतेहपुर का मालवा पेड़ा आदि.

English Summary: Ginger of Bundelkhand will get GI tag
Published on: 07 September 2023, 04:50 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now