हींग जिसे हम सब लोग अपने खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करते हैं. इसे हम भारतीय व्यंजनों में स्वाद बढ़ाने का सबसे अच्छा मसाला भी कह सकते हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हींग को अब सिर्फ भारतीय मसालों (Indian Spices) में ही शामिल नहीं बल्कि विदेश के बाजार में अपनी एक अलग पहचान बनाई है.
दरअसल, उत्तर प्रदेश के एक जिला एक उत्पाद में शामिल हाथरस की हींग (Asafoetida) को GI Tag दिया गया है. इसके बाद से ही देश-विदेशों के बाजार में भारतीय हींग की मांग में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी.
रोजगार के नए अवसर होंगे पैदा
मिली जानकारी के मुताबिक, विश्व स्तर पर हींग को पहचान मिलने के बाद यह अनुमान लगाया जा रहा है कि देश के कई युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे. इसी के साथ लोगों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार देखने को मिलेगा. बता दें कि उत्तर प्रदेश के हाथरस हींग को GI Tag मिलने के बाद भारतीय व्यापारियों को विदेशों में अपना कारोबार फैलाने में बेहद आसानी होगी. देखा जाए तो विदेशों में सिर्फ हींग ही नहीं हाथरस के रंग, गुलाल, गारमेंट्स और नमकीन आदि भी बेहद मशहूर हैं.
क्या है GI Tag ? (What is GI Tag?)
जीआई टैग का पूरा नाम जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग (Geographical Indications Tag) है जो किसी खास जगह की पहचान होता है. दरअसल, यह किसी भी प्रोडक्ट को उसकी भौगोलिक पहचान दिलाता है. रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट-1999 के तहत भारतीय संसद में जियोग्राफिकल इंडिकेशन ऑफ गुड्स लागू किया गया था, जो कि किसी राज्य को किसी खास भौगोलिक परिस्थितियों में पाई जाने वाली वस्तुओं के लिए विशिष्ट वस्तु का कानूनी अधिकार देता है. ऐसे में उस खास क्षेत्र के अलावा उस चीज का उत्पादन नहीं किया जा सकता है.
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जी आई टैग के लिए ऐसे करें आवेदन?
जीआई टैग (GI Tag) के लिए कंट्रोलर जनरल ऑफ पेरेंट्स, डिजाइंस एंड ट्रेड मार्क्स के कार्यालय में आवेदन किया जा सकता है. इसका मुख्य ऑफिस चेन्नई में स्थित है. यह संस्था आवेदन के बाद इस बात की छानबीन करती है कि यह दावा कितना सही है, इसके बाद ही जीआई टैग दिया जाता है.