हम बाजार से जो कुछ भी खाद्य पदार्थ खरीदते हैं, उन सभी में ट्रांस फैट होता है, जो हमारी सेहत को बहुत खतरनाक रूप से खराब करता है. तली-भुनी चीजों, डोनट और कुकीज उत्पादों में इसकी अधिकता सामान्य से बहुत अधिक होती है. ट्रांस फैट की वजह से ही आज भारत में मोटापा एक गंभीर समस्या के रूप में पैर पसार रहा है. शायद यही कारण है कि लोगों की सेहत का ख्याल रखते हुए, सरकार ने खाद्य पदार्थों में ट्रांस फैट कम करने का फैसला किया है.
ट्रांस फैट अधिक होने पर निर्माताओं के खिलाफ होगी कारवाई
खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के मुताबिक 2022 के बाद से खाद्य उत्पादों में ट्रांस वसा की मात्रा दो प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए. अगर ऐसा होता है, तो उसके लिए निर्माता कंपनी को सजा मिल सकती है. वैसे आपको बता दें कि वर्तमान में खाद्य कंपनियों को पांच प्रतिशत तक ट्रांस फैट रखने की आजादी दी गई है.
ट्रांस फैट से सेहत होती है खराब
इस बारे में एफएसएसएआई के सीईओ अरुण सिंहल ने कहा है कि खाद्य सुरक्षा के विषय को उपेक्षित नहीं किया जा सकता, पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्द्धक भोजन पर हर किसी का अधिकार है. लेकिन इस समय भारत में जो खाद्य पदार्थ बिक रहे हैं, उससे लोगों को और विशेषकर दिल के रोगियों को खतरा है. इस बारे में बाकायदा एक अधिसूचना जारी करते हुए सरकार ने कहा है कि 2021 तक ट्रांस वसा की मात्रा घटाकर 3 प्रतिशत पर लाई जाएगी और 2022 तक इसे 2 प्रतिशत कर दिया जाएगा.
‘ट्रांस वसा मुक्त’ लोगो अनिवार्य
आने वाले कुछ महीनों बाद खाद्य निर्माताओँ के लिए ये अनिवार्य होगा कि वो अपने उत्पाद में ट्रांस वसा मुक्त भारत का लोगो लगाएं. हालांकि अभी भी कुछ निर्माता, जैसे-बेकरी वाले, मिठाई वाले और खाद्य पदार्थ वाले ट्रांस मुक्त भारत का लोगो या जानकारी अपने उत्पाद पर लगाते हैं, लेकिन वो ये काम स्वेच्छा से करते हैं.