बैटरी भंडारण को लेकर देशवासियों के लिए एक बड़ी ख़बर आयी है. दरअसल, रिलायंस न्यू एनर्जी सोलर लिमिटेड (Reliance New Energy Solar Limited), ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड (Ola Electric Mobility Private Limited), हुंडई ग्लोबल मोटर्स कंपनी लिमिटेड (Hyundai Global Motors Company Limited) और राजेश एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (Rajesh Exports Limited) सहित चार कंपनियों को एडवांस केमिस्ट्री सेल (ACC) के लिए सरकार की 18,100 करोड़ रुपये की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के तहत बैटरी भंडारण प्रोत्साहन प्राप्त करने के लिए चुना गया है.
पीएलआई व बैटरी भंडारण की सुर्खियां (PLI and battery storage headlines)
ACC Battery Storage के लिए पीएलआई (PLI) योजना पर टिप्पणी करते हुए, केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडे (Union Minister of Heavy Industries Mahendra Nath Pandey) ने कहा कि "अनुकूल नियामक ढांचे के कारण ईवी की मांग में वृद्धि ने मुख्य रूप से इस क्षेत्र में निवेश आकर्षित किया है. आज बड़ी कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण में निवेश कर रही हैं. हमें उन्हें और अधिक प्रोत्साहन देना चाहिए और भारत को एक विनिर्माण केंद्र बनाने की कोशिश करते रहना चाहिए."
भारत में एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (ACC) बैटरी स्टोरेज प्रोग्राम के तहत कुल 10 कंपनियों ने अपनी बोलियां जमा कीं, जिसके लिए भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा 22 अक्टूबर 2021 को रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) जारी किया गया था. यह योजना 14 जनवरी तक आवेदन प्राप्त करने के लिए खुली थी. 2022 और तकनीकी बोलियां 15 जनवरी 2022 को खोली गईं.
सभी 10 बोलियों का मूल्यांकन किया गया और 9 कंपनियों को उत्तरदायी पाया गया और आरएफपी के तहत आवश्यकताओं के अनुसार पात्रता की शर्तों को पूरा किया गया है. उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इसके लिए वित्तीय बोलियां 17 मार्च, 2022 को सुबह 11.45 बजे आरएफपी की पारदर्शी वैश्विक निविदा प्रक्रिया के तहत तकनीकी मूल्यांकन के परिणामों की घोषणा के बाद खोली गईं थी.
खास बात यह है कि मंत्रालय ने कहा कि चयनित कंपनियों को दो साल की अवधि के भीतर विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करनी होंगी. इसके बाद भारत में निर्मित बैटरियों की बिक्री पर पांच साल की अवधि में प्रोत्साहन दिया जाएगा. इस पहल के तहत, सरकार का जोर अधिक घरेलू मूल्यवर्धन हासिल करने पर है, जबकि साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि भारत में बैटरी निर्माण की लागत वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी हो.
सरकार ने 18,100 रुपये के बजटीय परिव्यय (Budgetary Outlay) के साथ भारत की विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एसीसी के 50 गीगा वाट (GWH) की विनिर्माण क्षमता प्राप्त करने के लिए उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना के तहत बैटरी भंडारण पर राष्ट्रीय कार्यक्रम को मंजूरी दी है.
कार्यक्रम में एक निवेश की परिकल्पना की गई है, जो घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देगा और देश में एक पूर्ण घरेलू आपूर्ति श्रृंखला (Complete domestic supply chain) और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के विकास के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicles) और स्थिर भंडारण दोनों के लिए बैटरी भंडारण मांग निर्माण (Battery storage demand creation) की सुविधा प्रदान करेगा.
मंत्रालय ने कहा कि एसीसी पीएलआई योजना से ईवी अपनाने में तेजी आने की उम्मीद है और इसलिए इस कार्यक्रम की अवधि के दौरान तेल आयात बिल के कारण 2,00,000 करोड़ रुपये से 2,50,000 करोड़ रुपये की शुद्ध बचत होगी और राष्ट्रीय ग्रिड में अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ेगी.