Weather Updates: देश के इन 5 राज्यों में 27 अप्रैल तक भारी बारिश का अलर्ट, पढ़ें लेटेस्ट वेदर रिपोर्ट! युवाओं के लिए सुनहरा मौका: सरकारी मदद से बनें कारोबारी, पाएं 25 लाख तक का लोन! खुशखबरी! युवाओं को बिना ब्याज के 5 लाख रुपए तक का मिलेगा लोन, जानें कौन और कैसे उठा सकता है लाभ Rooftop Farming Scheme: छत पर करें बागवानी, मिलेगा 75% तक अनुदान, जानें आवेदन प्रक्रिया Diggi Subsidy Scheme: किसानों को डिग्गी निर्माण पर मिलेगा 3,40,000 रुपये का अनुदान, जानें कैसे करें आवेदन Digital India: लॉन्च हुआ फेस आईडी वाला Aadhaar App, अब नहीं देनी होगी कहीं आधार की फोटोकॉपी! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Tarbandi Yojana: अब 2 बीघा जमीन वाले किसानों को भी मिलेगा तारबंदी योजना का लाभ, जानें कैसे उठाएं लाभ? Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं
Updated on: 8 December, 2018 12:45 PM IST
World Soil Day

बिहार के कृषि मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने पटना जिला के किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण किया. पटना के बामेती सभागार में इसके लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान डॉ. प्रेम कुमार ने कहा कि इस अभियान के अन्तर्गत पटना जिला के सभी 23 प्रखण्डों के प्रत्येक 323 ग्राम पंचायतों व वार्ड में शिविर लगाकर मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिए जाएंगे. शिविर में किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. 

मौजूदा वित्तीय वर्ष में पटना जिला में 1 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिए जाने का लक्ष्य है. जिसके तहत जिले के सभी प्रखंडों में कुल 67,428 कार्ड जारी कर दिए गए हैं. जिसमें से अब तक 50,644 कार्ड किसानों को बांटे जा चुके हैं. शेष कार्डों का वितरण 15 दिसंबर तक किया जाना है. कार्यक्रम में बोलते हुए प्रेम कुमार पटेल ने कहा कि अगर खेत की मिट्टी स्वस्थ है तभी टिकाऊ खेती संभव है. इसीलिए मिट्टी के स्वास्थ्य की जाँच के लिए राज्य सरकार बड़े पैमाने पर प्रयास कर रही है.

वर्तमान में राष्ट्रीय संधारणीय कृषि मिशन के तहत मिट्टी की जाँच का अभियान चलाया जा रहा है. इसके अंतर्गत सिंचित क्षेत्रों में 2.5 हेक्टेयर एवं असिंचित क्षेत्रों में 10 हेक्टेयर के ग्रीड से एक-एक नमूना लिया जा रहा है. मार्च, 2017 में  इसका पहला चरण पूरा हो चुका है. इसके दूसरे चरण में अगले दो वर्षों के दौरान राज्य भर से 13,08,778 मिट्टी के नमूने लेने और उनकी जाँच का लक्ष्य रखा गया है. ग्रीड में शामिल किसानों को इसकी मिट्टी जाँच की रिपोर्ट के आधार पर ही फसल के लिए उर्वरक संबंधी सिफारिश की जाएगी.

इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए राज्य के सभी 38 जिलों में जिलास्तरीय मिट्टी जांच प्रयोगशालाएँ कार्यरत हैं. यहाँ मिट्टी की जाँच के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है. नमूनों की शुद्धता के लिए सॉफ्टवेयर आधारित प्रक्रिया अपनाई जाती है. कृषि विभाग के कर्मचारी खेत पर जाकर आक्षांश एवं देशान्तर के साथ किसान का पूरा पता एवं अन्य ब्यौरा भी प्राप्त करते हैं.  इसके अलावा मंडल स्तर पर भी कुल 9 मिट्टी जांच लैबों की स्थापना की गई है. जिसके चलते राज्य की मिट्टी जांच क्षमता में 45,000 नमूने प्रतिवर्ष की बढ़ोतरी हुई है. साथ ही कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केन्द्र एवं पालीगंज वितरणी कृषक सहयोग समिति की मिट्टी जांच प्रयोगशाला भी कार्यरत हैं. नमूनों की जांच की गुणवत्ता के लिए राज्य सरकार द्वारा केन्द्रीय मिट्टी जांच प्रयोगशाला के अतिरिक्त दोनों राजकीय कृषि विश्वविद्यालयों के मिट्टी जांच प्रयोगशाला को भी रेफरल जांच के लिए चुना गया है.

डॉ. कुमार के मुताबिक राज्य में 5 से 15 दिसम्बर तक स्वायल हेल्थ कार्ड वितरण अभियान चलाया जा रहा है. इस दौरान 10 लाख किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिए जाएंगे. इसके साथ ही 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस के उपलक्ष्य में पूरे राज्य में वार्ड स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए गए थे. जहाँ 1.96 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण किया गया. इस कार्यक्रम के तहत राज्य के सभी जिलों में पंचायत व वार्ड स्तर पर शिविर लगाकर मृदा कार्ड बाँटे जा रहे हैं. शिविर में विशेषज्ञों द्वारा किसानों को इस कार्ड के लाभ एवं इसके उपयोग संबंधी जानकारियां दी जाएंगी. शिविर में संबंधित पंचायत के सभी जनप्रतिनिधि भी उपस्थित रहेंगे. किसानों को वार्डवार स्वायल हेल्थ कार्ड वितरण की तिथि की सूचना संबंधित पंचायत के किसान सलाहकार एवं कृषि समन्वयक द्वारा उपलब्ध करायी जायेगी.

डॉ कुमार ने कहा कि मिट्टी की उर्वरता बनाये रखने के लिए मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन के अंतर्गत किसान मध्यम और लघु पोषक तत्वों सहित उर्वरकों का मृदा जाँच आधारित प्रयोग करें. कम्पोस्ट, हरी खाद का उपयोग करें. जैव उर्वरकों का उपयोग करने के साथ-साथ स्वॉयल ऑर्गेनिक कार्बन का रख-रखाव एवं फसल के कटने के बाद अवशेष को जलाने की बजाय मिट्टी में मिलाना चाहिए. उन्होंने राज्य के किसानों से मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण शिविरों में भाग लेने की अपील की.

इस अवसर पर निदेशक, बामेती डॉ जितेन्द्र प्रसाद, संयुक्त निदेशक (रसायन), मिट्टी जांच प्रयोगशाला राम प्रकाश सहनी, पटना के जिला कृषि अधिकारी राकेश रंजन, परियोजना निदेशक, आत्मा, पटना अनिल कुमार यादव, पटना जिला के प्रखंड कृषि पदाधिकारीगण एवं बड़ी संख्या में किसान भाई-बहन उपस्थित थे.

संदीप कुमार

English Summary: For the sustainable cultivation soil testing is essential: Dr. Prem Kumar
Published on: 08 December 2018, 12:48 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now