भारतीय कॉफी की कुल पांच किस्मों को भौगौलिक प्रमाणन (जीआई) से सम्मानित किया गया है. ऐसा होने से आने वाले समय में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में जल्द ही भारतीय कॉफी की मौजदूगी बढ़ जाएगी. इसके साथ ही देश को अपनी प्रमीयिम कॉफी की अधिकतम कीमत को प्राप्त करनें में भी काफी मदद मिलेगी. तो आइए जानते हैं कि वे कौन सी किस्में है जो जीआई टैग का प्रमाणन पा चुकी हैं -
कूर्ग अराबिका कॉफी - इस कॉफी की बात करें तो यह कर्नाटक राज्य के कोडागू जिले में भारी मात्रा में उगाई जाती है.
वायनाड रोबस्टा कॉफी - इस प्रकार की कॉफी मुख्य रूप से केरल राज्य के वायनाड जिलें में पाई जाती हैं जो केरल के पूर्वी जिले में स्थित है.
चिंकमंगलूर अराबिका कॉफी - यह कॉफी मुख्य रूप से चिकमंगलूर जिले में उगाई जाती है जो कर्नाटक के मालनाड से संबंधित है.
अराकू बैली अराबिका कॉफी - इस कॉफी को आंध्र प्रदेश, विशाखापट्टनम और ओडिशा क्षेत्र की पहाड़ियों से प्राप्त किया जाता है. इस कॉफी को स्थानीय लोगों के जरिए तैयार कराया जाता है.
बाबाबुदन गिरीज अराबिका कॉफी - इस कॉफी को भारत के उद्गम स्थल पर उगाया जाता है. यह क्षेत्र चिंकमंगलूर जिले के मध्य क्षेत्र में स्थित है. इस कॉफी को मुख्य रूप से हाथ से ही चुना जाता है. कॉफी की यह किस्म सुहावने मौसम में तैयार होती है.
भारत में कॉफी की सर्वोत्तम किस्म
दुनिया में कॉफी की किस्मों की बात करें तो सबसे सर्वोत्तम किस्में भारत में ही उगाई जाती है. इन्हें पश्चिमी और पूर्वी घाटों में जनजातीय किसानों के द्वारा ही उगाया जाता है. देश में कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल तीन प्रमुख ऐसे राज्य हैं, जहां पर कॉफी का उत्पादन सबसे ज्यादा किया जाता है. भारतीय कॉफी विश्व बाजार में काफी ऊंची कीमतों में बिकती है और लोगों के द्वारा सबसे ज्यादा पसंद की जाती है.
देशभर में कुल 3.66 लाख कॉफी किसान
बता दें कि जीआई के प्रमाणन से जो विशेष मान्यता और संरक्षण मिलता है उसके सहारे कंपनियां कॉफी उत्पादक राज्यों में कॉफी की अनूठी खूबियों को बनाए रखने में मदद करती है. अगर देश में कॉफी उत्पादन की बात करें तो 3.66 लाख कॉफी किसानों द्वारा तकरीबन 4.54 लाख हेक्टेयर में खेती को उगाया जाता है. इसमें कुल 98 प्रतिशत छोटे किसान है. यह भारत के दक्षिणी राज्यों में उगाई जाती है.