केवल 80 से 85 दिनों में तैयार होने वाला Yodha Plus बाजरा हाइब्रिड: किसानों के लिए अधिक उत्पादन का भरोसेमंद विकल्प बिहार की लीची है अद्भुत! वैज्ञानिक रिसर्च से बढ़ेगी शेल्फ लाइफ: केंद्रीय कृषि मंत्री खुशखबरी! किसानों को इन फलों की खेती पर राज्य सरकार देगी 80,000 रुपए अनुदान, जानिए पूरी योजना किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 18 March, 2021 3:02 PM IST
Farmers Will Do Farming

दिल्ली बॉर्डर पर पिछले 100 से ज्यादा दिनों से किसान डेरा जमाए बैठे हैं. अब मंजर ऐसा है कि किसान आंदोलन स्थल के पास खाली पड़ी जमीन पर पक्के मकानों का निर्माण कर लिया है.

इतना ही नहीं, अब किसान खाली जगह पर खेती भी करने वाले हैं. बताया जा रहा है कि इन जगहों पर किसान रोजमर्रा की जरूरत वाले पौधे उगाएंगे. किसान नेताओं का कहना है कि जो खाली पड़ी है, उसका कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा है, इसलिए अब किसान खाली जगह को खेती के लिए इस्तेमाल करेंगे. इस तरह फसल आंदोलन कर रहे किसान और स्थानीय लोगों के काम भी आएगी.

किसानों को खाली बैठने की आदत नहीं

किसानों का कहना है कि सरकार की तरफ से किसानों की मांग पर किसी तरह की सुनवाई नहीं हो रही है. पिछले 100 दिन से ज्यादा दिन गुजर चुके हैं, लेकिन किसान सड़कों पर ही बैठे हुए है. मगर किसानों को खाली बैठने की आदत नहीं है, इसलिए अब किसान आंदोलन स्थल पर ही अपने लिए संसाधन जुटाने लगे हैं.

सरकार का भरोसा नहीं

इसके साथ ही किसानों ने कहा है कि सरकार का भरोसा नहीं किया जा सकता है कि वह कब तक हमसे बात करेगी. अगर लंबे समय तक बॉर्डर पर बैठना है, तो पक्के मकान के साथ-साथ अपनी जरूरत के लिए खेती भी शुरू करनी होगी. मगर हमारी वजह से किसी को कोई परेशानी न हो, इसका पूरा ध्यान भी रखा जाएगा.

इसके अलावा किसान आंदोलन के शुरूआती दिनों में बहादूरगढ़ जाने के लिए लोगों को पैदल जाना पड़ रहा था. ऐसे किसानों ने स्थानीय लोगों की परेशानी को देखते हुए सड़कों को पूरी तरह से यातायात के लिए खोल दिया है. इसके बाद यहां ऑटो चलना शुरू हो गया है.

मगर पुलिस ने सड़कें बंद की हैं, किसानों ने कहीं भी कोई सड़क बंद नहीं की है. किसानों का कहना है कि हम लोगों की सुरक्षा और सुविधा के लिए हर संभव मदद के लिए तैयार हैं.

English Summary: Farming to be done during farmers movement on Delhi border
Published on: 18 March 2021, 03:11 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now