दिल्ली बॉर्डर पर पिछले 100 से ज्यादा दिनों से किसान डेरा जमाए बैठे हैं. अब मंजर ऐसा है कि किसान आंदोलन स्थल के पास खाली पड़ी जमीन पर पक्के मकानों का निर्माण कर लिया है.
इतना ही नहीं, अब किसान खाली जगह पर खेती भी करने वाले हैं. बताया जा रहा है कि इन जगहों पर किसान रोजमर्रा की जरूरत वाले पौधे उगाएंगे. किसान नेताओं का कहना है कि जो खाली पड़ी है, उसका कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा है, इसलिए अब किसान खाली जगह को खेती के लिए इस्तेमाल करेंगे. इस तरह फसल आंदोलन कर रहे किसान और स्थानीय लोगों के काम भी आएगी.
किसानों को खाली बैठने की आदत नहीं
किसानों का कहना है कि सरकार की तरफ से किसानों की मांग पर किसी तरह की सुनवाई नहीं हो रही है. पिछले 100 दिन से ज्यादा दिन गुजर चुके हैं, लेकिन किसान सड़कों पर ही बैठे हुए है. मगर किसानों को खाली बैठने की आदत नहीं है, इसलिए अब किसान आंदोलन स्थल पर ही अपने लिए संसाधन जुटाने लगे हैं.
सरकार का भरोसा नहीं
इसके साथ ही किसानों ने कहा है कि सरकार का भरोसा नहीं किया जा सकता है कि वह कब तक हमसे बात करेगी. अगर लंबे समय तक बॉर्डर पर बैठना है, तो पक्के मकान के साथ-साथ अपनी जरूरत के लिए खेती भी शुरू करनी होगी. मगर हमारी वजह से किसी को कोई परेशानी न हो, इसका पूरा ध्यान भी रखा जाएगा.
इसके अलावा किसान आंदोलन के शुरूआती दिनों में बहादूरगढ़ जाने के लिए लोगों को पैदल जाना पड़ रहा था. ऐसे किसानों ने स्थानीय लोगों की परेशानी को देखते हुए सड़कों को पूरी तरह से यातायात के लिए खोल दिया है. इसके बाद यहां ऑटो चलना शुरू हो गया है.
मगर पुलिस ने सड़कें बंद की हैं, किसानों ने कहीं भी कोई सड़क बंद नहीं की है. किसानों का कहना है कि हम लोगों की सुरक्षा और सुविधा के लिए हर संभव मदद के लिए तैयार हैं.