वर्तमान समय में आधुनिक तकनीकें (Modern technologies) सफल कृषि करने का एक अटूट हिस्सा बन गई हैं. अब एमएमएमयूटी (Madan Mohan Malaviya University of Technology) द्वारा एक ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित किया जा रहा है. जो रबी (Rabi Crop) और खरीफ (Kharif Crop) की फसलों के मुताबिक, किसानों को उनके मोबाइल पर ही पूरी सूचना पहुंचाएगा. इसके साथ ही किसानों को यह भी जानकारी देगा कि उनके खेत में कब-कब पानी और कितने खाद की आवश्यकता है. इससे किसानों को खेती करने में काफी आसानी होगी और खेत में ज्यादा सिंचाई और ज्यादा उर्वरक डालने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. अगर किसान उत्पादन वाली फसल की बुवाई करेंगे तो उनको कम लागत में मुनाफा भी अधिक होगा.
एमएमएमयूटी (MMMUT) इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में कृषि विकास केंद्र से भी मदद ले रहा है. इसके लिए शोधार्थी और शिक्षक पिछले 10 सालों की फसल का पूरा ब्यौरा जुटा रहे हैं. इस सॉफ्टवेयर में वे पूर्वांचल में कौन-कौन सी मुख्य फसलें हैं और उनका औसत उत्पादन कितना है? वे सब इसमें अपलोड (Upload) किया जाएगा. उसके बाद ऑनलाइन जो डाटा उपलब्ध है उससे मिलान कर उसे पूरी तरह जांचा व परखा जाएगा.
कैसे होगी इस सॉफ्टवेयर से जांच
इस प्रोजेक्ट के कोआर्डिनेटर प्रो. एस.के सोनी (Project Coordinator Prof.S.K Soni) ने जानकारी देते हुए बताया कि खेत से मिट्टी लेकर लैब (Laboratory) में मिट्टी की नमी, उर्वरक, बीज के बढ़ने की क्षमता आदि की जांच की जाएंगी. जिसके बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड सॉफ्टवेयर (AIBS) में इस जानकारी को अपलोड किया जाएगा. फिर ये सॉफ्टवेयर (Software) ऑनलाइन मौसम के डेटा (Weather Data) और फसल के डेटा (Crop Data) की पूरी तरह रिसर्च कर बता देगा कि मिट्टी में किस महीने में कौन सी फसल की बुवाई करे तो ज्यादा उत्पादन होगा.
मिट्टी की जांच के बनेंगी लैब
एमएमएमयूटी (MMMUT) मिट्टी की जांच के लिए लैब (Soil Testing Laboratory) भी स्थापित करने जा रहा है.
सॉइल टेस्टिंग में कितना आएगा खर्च
किसानों के खेत की मिट्टी की जांच करवाने के लिए कोई पैसा नहीं देना होगा यह पूरी तरह नि:शुल्क है.
कितने नमूनों की होगी जांच
एक लैब में प्रतिदिन 50 नमूने की जांच की जाएगी. जिन नमूनों की जांच की जाएगी उनका पूरा ब्यौरा लैब में सुरक्षित रखा जाएगा और उसे सॉफ्टवेयर से लिंक कर दिया जाएगा.