केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन थम नहीं रहा है. कृषि कानून को वापस लेने की मांग पर अड़े किसानों का प्रदर्शन कोरोना की दूसरी लहर के प्रभाव के बीच भी जारी है. इसी कड़ी में अब किसान मानसून सत्र के दौरान दिल्ली कूच की तैयारी में जुटे हैं. दरअसल, संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में किसान दिल्ली कूच पर फैसला ले सकते हैं.
किसानों का बड़ा ऐलान
भारतीय किसान यूनियन एकता (डकोंद) के प्रधान बूटा सिंह ने इस बात की संभावना जताई है कि किसान दिल्ली और संसद तक पैदल मार्च कर सकते हैं. साथ ही किसान आने वाली 6 जुलाई को पंजाब में मोती महल का घेराव जत्थे निकालकर कर सकते हैं. बता दें कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के आवास का नाम मोती महल है.
किसानों की बिजली सप्लाई की कम
मौजूदा समय में किसान धान की बुवाई की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन ऐसे में पंजाब में धान उगाने वाले किसानों की बिजली सप्लाई कम कर दी गई है. इस कारण किसान नाराज चल रहे हैं. एक तो पहले किसानों को 8 घंटे तक बिजली मिलती थी, ऐसे में फिर अब महज 4 घंटे बिजली देने से किसानों में काफी आक्रोश है.
मानसून सत्र के दौरान पार्टियों पर किसानों की नजर!
बूटा सिंह का कहना है किसान मानसून सत्र में विपक्षी दलों पर नजर बनाए रखेंगे. मानसून सत्र में किसान उन्हीं पार्टी का विरोध करेंगे,जो किसानों का समर्थन नहीं करेगी.
बिना कृषि कानून वापसी के नहीं हटेंगे किसान
हाल ही में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का बयान आया था, जिस पर बूटा सिंह ने कहा कि कृषि कानून रद्द होने चाहिए, इसके अलावा किसानों को कुछ भी मंजूर नहीं है. अगर इन्हें रद्द नहीं किया जाता है, तो राजनीति से बीजेपी का सफाया हो सकता है. अगर दूसरी सरकार ने भी कृषि कानून वापस नहीं लिए, तो हम किसान अपना आंदोलन जारी रखेंगे.