एपीडा ने कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों की निर्यात क्षमता को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ से निर्जलित महुआ फूलों और उत्तराखंड से हिमालयी बकरी के मांस के क्रमशः फ्रांस और संयुक्त अरब अमीरात को निर्यात की सुविधा प्रदान की. पहली बार निर्जलित महुआ फूलों की एक खेप छत्तीसगढ़ से फ्रांस को समुद्र के रास्ते निर्यात की गई. बता दें कि ड्रैगन फ्रूट जैसे अनोखे फलों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एपीडा ने सऊदी अरब के बाजार में एक प्रचार कार्यक्रम भी आयोजित किया था.
महुआ के फूलों उपयोग – (Uses of Mahua flowers )
महुआ के फूल घने, छोटे आकार और पीले सफेद रंग के होते हैं. इसके फूलों से कस्तूरी जैसी सुगंध आती है. जोकि मार्च और अप्रैल के महीने में आते हैं. महुआ के फूलों को गरीब और आदिवासी लोग उन्हें इकट्ठा करते हैं, इन्हें सुखाकर खाने और अन्य में कई रूपों में प्रयोग किया जाता है. इसके साथ ही महुआ के निर्जलित फूलों का उपयोग शराब, दवा और सिरप बनाने के लिए किया जाता है.
महुआ के पेड़ कहाँ पाए जाते हैं? – (Where are Mahua trees found?)
महुआ एक भारतीय उष्णकटिबंधीय वृक्ष है, जो उत्तर भारत के मैदानी इलाकों जैसे- ज्यादातर छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, गुजरात और महाराष्ट्र राज्य के काठघोरा, सरगुजा, पासन, पाली, चुर्री के जंगलों में बड़े पैमाने पर पाया जाता है.
रोगों को करता है दूर – (cures diseases)
1. महुआ के फूल के अन्दर एक प्रकार का रस पाया जाता है जो बहुत गाढ़ा होता है.
2. यह स्वाद में बहुत मीठा होता है.
3. महुआ के फूलों में कैल्शियम, आयरन, पोटाश, एन्जाइम्स, एसिडस आदि अधिक मात्रा में पाया जाता है.
4. यह अनेक प्रकार के रोगों को दूर करना में सहायक होता है. जैसे सांस के रोग, टी.बी., कमजोरी, खांसी, अनियमित मासिक धर्म, भोजन का अपचन स्तनो में दूध की कमी तथा लो-ब्लड प्रेशर इत्यादि.
समुद्र के रास्ते फ्रांस पहुंचे महुआ के फूल- (Mahua flowers reached France by sea)
महुआ के पेड़ों को फ्रांस के लिए निर्यात किए जाने के लिए भारत के राज्यों के जंगल से इसको अनुसूचित जनजाति के लोगों द्वारा एकत्र किए जाता है. इससे प्राप्त लकड़ी, फल और फूल से कई प्रकार की औषधियां बनाने काम आता है.
एपीडा किसानों के लिए करता है समाधान – (APEDA does solution for farmers )
एपीडा भारत सरकार द्वारा 2018 में घोषित कृषि निर्यात नीति (एईपी) के तहत कृषि के विकास और उसके निर्यात में बढ़ोतरी के लिए पहचान किए गए क्षेत्रों पर जरूरी कदम उठाकार उनके लिए समाधान प्रदान करता है. इसके अलावा, एईपी के क्रियान्वन के लिए एपीडा को राज्य सरकारों के साथ जोड़ा गया है. इसके तहत महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, केरल, नागालैंड, तमिलनाडु, असम, पंजाब, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मणिपुर, सिक्किम, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, मिजोरम और मेघालय राज्यों ने निर्यात के लिए राज्य विशिष्ट कार्य योजना को अंतिम रूप दिया है. दूसरे राज्य भी कार्य योजना को अंतिम रूप देने के विभिन्न चरणों में हैं.