जैसे कि आप जानते हैं इस समय रबी का सीजन चल रहा है. ऐसे में किसान अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए अपने खेत में कई तरह की दलहन, तिलहन फसलों को लगाते हैं. लेकिन इन फसलों के लिए किसान भाइयों को कई तरह की परेशानियों से होकर गुजरना पड़ता है. इसमें सबसे बड़ी परेशानी समय पर खाद न मिलना है.
देखा जाए तो पिछले कुछ दिनों से सरकार को यह शिकायत मिल रही है कि उन्हें समय पर खाद न मिलने से काफी नुकसान पहुंच रहा है. यह भी बताया जा रहा है कि खाद किसानों को इसलिए देरी से पहुंच रही है, क्योंकि इसका मुख्य कारण रेलों की लेटलतीफी है. रेल की इस परेशानी को दूर करने के लिए सरकार ने रेलवे को कुछ अहम कदम उठाने के निर्देश दिए हैं.
सरकार ने रेलवे से मांगी रिपोर्ट
आपको बता दें कि खाद की इस दिक्कत को देखते हुए उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से बातचीत की और रेलवे से खाद पहुंचाने की पूरी रिपोर्ट मांगी है. सरकार ने रेलवे से कहा कि किसानों को डीएपी (DAP) और यूरिया (urea) बहुत ही देरी से प्राप्त हो रहा है. इस विषय पर अधिकारियों ने कहा कि डीएपी और यूरिया खाद की ढुलाई करने में बंदरगाह से स्टेशन तक लगभग 8-10 दिन का समय लग जाता है. इसके अलावा कई स्टेशनों पर खाद बैन होने के चलते इनकी सप्लाई पर भी रोक लगा दी जाती है. ऐसी ही हमें कई परेशानियों से होकर जाना पड़ता है और फिर खाद को हम किसानों तक पहुंचते हैं.
बंदरगाहों में फर्टिलाइजर की मात्रा (Fertilizer quantity in ports)
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि खाद व यूरिया को बंदरगाहों के द्वारा ही देश के विभिन्न रेलवे स्टेशन पर पहुंचाया जाता है. वर्तमान समय में बंदरगाह से कीनाडा, कृष्णापटनम, गंगावरम, वाई जैक और पारादीप में रेक की कमी के चलते फर्टिलाइजर की सप्लाई स्लो हो गई है.
मिली जानकारी के मुताबिक, नवंबर महीने में पूर्वी बंदरगाहों से लगभग 149,800 मिलियन टन डीएपी उर्वरक आवंटन में से मात्र 82,143 मिलियन टन की गई थी. इस सप्लाई को लेकर सरकार कई कदम उठाने पर विचार कर रही है कि कैसे किसानों को समय पर खाद पहुंच सके.
यूपी में करीब 140 लाख हेक्टेयर में रबी फसल
सर्वे से यह पता चला है कि अकेले उत्तर प्रदेश में ही करीब 140 लाख हेक्टेयर में रबी की फसल की जाती है, जिसमें गन्ने का रकबा लगभग 26 लाख हेक्टेयर होता है. इनकी अच्छी पैदावार के लिए राज्य के किसान यूरिया का इस्तेमाल समय-समय पर करते हैं. इसलिए शायद राज्य में इस बार उर्वरकों की मांग सबसे अधिक बढ़ गई है.
इसका असर आप साफ देख सकते हैं कि पहले के मुकाबले किसान अब अधिक यूरिया का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसके चलते फर्टिलाइजर की कमी होने लगी है.