किसान भाइयों के लिए बदलते मौसम हमेशा से ही एक मुश्किल भरी परेशानी रही है, क्योंकि बदलते मौसम से किसानों की फसलों पर बुरा प्रभाव पड़ता है. आपको बता दें कि मौसम विभाग ने हाल ही में राजस्थान के करौली और दौसा जिले में दो दिनों तक हल्की बारिश और ओलावृष्टि होने की आशंका जताई है.
जानकारी के मुताबिक, बारिश के साथ 30 से 50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दक्षिण-पूर्वी में हवाएं चल सकती है. जैसे कि आप सब जानते हैं कि गेहूं की फसल पककर तैयार है. ऐसे में बारिश व तेज हवाओं के कारण फसल खराब हो सकती है.
किसानों की परेशानी को देखते हुए कृषि अधिकारी अशोक कुमार ने फसलों के बचाव के लिए किसानों से कहा कि गेहूं की फसल पककर पूरी तरह से तैयार है. ऐसे में आप जितनी जल्दी हो सके फसलों की कटाई करना शुरू कर दें और साथ ही उन्होंने फसल में खतरनाक दीमक के बचाव के लिए भी सुझाव दिए.
ऐसें करें फसलों के बचाव (How to protect crops)
टमाटर / मिर्च / बैंगन आदि सब्जियों में बारिश के मौसम के समय में कई रस चूसक कीट लग जाते हैं, जिसकी रोकथाम के लिए आपको फसल में थयोमिथाक्सिम दवा के 0.45 ग्राम / ली. पानी में मिलाकर छिड़काव करना है. इसके अलावा फसल में सड़न रोग के बचाव के लिए कार्बेंडाजिम दवा के 10 घोल से ड्रेन्चिंग करें. वहीं प्ररोह व फसल छेड़क झल्ली को रोकने के लिए फसल में इनामेक्टिन बेंजोएट दवा 1 मिली / ली की दर से छिड़काव करना बेहद जरूरी होता है.
ठीक इसी प्रकार भिंडी की फसल पर भी बदलते मौसम का बुरा प्रभाव होता है. इसके बचाव के लिए आप फसल में खरपतवार ना होने दें. इसके लिए आप खेत में निराई-गुराई समय-समय पर करें और साथ ही फसलों की सिंचाई भी करें. अगर आप भिंडी की फसल के अच्छा उत्पादन प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको उनकी फलियों को अपरिपक्व अवस्था में फूलों के खिलने से पहले लगभग 3-4 दिन के अंतराल पर लगातार तुड़ाई करें. इसी बीच पाउडरी मिल्ड्यू के बचाव के लिए हेक्साकोनाजोल 5.0 ईसी दवा के 2.0 मिली/ ली. पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
अगर हम तरबूज और खरबूज की फसल की बात करें. तो यह समय तरबूज और खरबूज की बुवाई के लिए उचित है. अगर आपने अभी तक इसकी बुवाई नहीं करी है, तो तुरंत करना शुरू कर दें और अगर वहीं आपनी इसकी बुआई कर दी है, तो आप इस फसल की सिंचाई करें.
पशुओं को रोगों से बचाने के तरीके (Ways to protect animals from diseases)
अगर आप पशुपालन का व्यवसाय करते हैं, तो आपको इसमें होने वाले रोगों पर भी बेहद ध्यान देने की जरूरत है. पशुओं में थनैला रोग के बचाव के लिए अपने पशुओं का पूरा दूध निकाल लें. इसके बाद थनों को कीटाणु नाशक घोल में डुबाए और फिर पशुओं को बाह्य परजीवियों से बचाने के लिए क्लीनर या ब्यूटाक्स नामक दवा को 1.0 लीटर पानी में 2.0 मिली दवा के मिश्रण से पशुओं के शरीर पर लगाए.
इसके बाद पशुओं को कम से कम 1 घंटे के बाद नहलाएं. इसके बाद अपने दुधारू पशुओं की अच्छी सेहत के लिए 25 किलो प्रति दिन हरा चारा खिलाएं. ऐसा करने से आप अपने पशुओं में होने वाले खतरनाक रोगों से बचा सकते हैं.