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Updated on: 23 August, 2022 5:56 PM IST
Uttar Pradesh Farmers

उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए मौसम विभाग ने अभी के मौसम को देखते हुए एग्रोमेट एडवाइजरी जारी की है. ये एग्रोमेट एडवाइजरी बदलते मौसम में किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. ऐसे में चलिए इस लेख में नीचे जानते हैं राज्य के अलग-अलग जिलों के लिए जारी एग्रोमेट एडवाइजरी की कुछ जरूरी बातें...

नोडल अधिकारीकानपुर: जिले: कन्नौजहाथरसमथुराआगराएटामैनपुरीफिरोजाबादइटावाऔरैयाकानपुर-ग्रामीणकानपुर-शहरीउन्नावलखनऊसीतापुरहरदोईखीरी और कांशीराम नगर

खरीफ की फसल

चावल : यदि धान में खैरा रोग दिखाई दे तो इसके नियंत्रण के लिए 20-25 किग्रा जिंक सल्फेट और 2.5 किग्रा चूने को 800 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. धान की रोपाई के 25 से 30 दिन बाद यूरिया की टॉप ड्रेसिंग 50 से 60 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से करें.

मक्का : मक्के की फसल में 35-40 दिनों के बाद दूसरी निराई-गुड़ाई करें. मक्के की फसल में दूसरी टॉप ड्रेसिंग बुवाई के 40 से 45 दिनों के बाद 60 से 70 किग्रा/हेक्टेयर की दर से यूरिया की टॉप ड्रेसिंग साफ आसमान में होनी चाहिए.

जायद फसल

जायद की फसल की बुवाई के बाद उसकी अच्छी तरह से सिंचाई करें, क्योंकि ये फसलें विकास की अवस्था में हैं.

वर्षा न होने की स्थिति में मूंगफली की फसलों में निराई-गुड़ाई के बाद प्रति हेक्टेयर 100 किलो जिप्सम (gypsum) डालकर हल्की निराई-गुड़ाई करें.

वर्षा न होने की स्थिति में तिल की फसल में बिजाई के 30-35 दिन बाद दूसरी निराई-गुड़ाई करें.

बैंगन और भिंडी की रोपाई करें.

सामान्य फल यानी आमअमरूदनींबूअंगूरबेर और पपीते के बाग की सिंचाई करें.

पशुपालकों के लिए सामान्य सलाह जारी

दिन के समय पशुओं को छायादार स्थान या पेड़ की छाया में बांध दें. पशुओं को हरा और सूखा चारा के साथ पर्याप्त मात्रा में अनाज दें. जानवरों को दिन में 3-4 बार साफ और ताजा पानी देना चाहिए.

मुर्गी को नमी से बचाएं और उचित रोशनी प्रदान करें. इसके साथ ही बर्तनों की धूल और गंदगी को साफ रखें.

नोडल अधिकारीमोडिपुरम: जिले: मेरठपीलीभीतसहारनपुरमुजफ्फरनगरबागपतगाजियाबादगौतमबुद्धनगरअलीगढ़बुलंदशहरमुरादाबादज्योतिबाफुले नगरबिजनौरबदायूंबरेलीरामपुरशाहजहांपुरफर्रुखाबादशामलीसंभल और हापुड़

खरीफ की फसल

खेत में पानी की उचित व्यवस्था करें.

हरे चारे के लिए लोबियाज्वारमक्का और बाजरा बोएं.

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जायद की फसल

खड़ी फसलों में हल्की सिंचाई 10-12 दिन के अंतराल पर शाम को ही करनी चाहिए तथा दोपहर में सिंचाई का कार्य नहीं करना चाहिए.

अरहर की फसल में पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था करें.

गन्ना की फसल में सामान्य वर्षा न होने की स्थिति में सिंचाई जरुर करनी चाहिए. गन्ने को गिरने से बचाने के लिए सबसे पहले फसल को बांधें.

सब्जी और फलों की खेती के लिए सलाह

भिंडी और अरबी की पूरी बुवाई करें.

लौकी की सब्जियों में मचान बनायें.

सभी सब्जियों में उचित जल निकासी प्रदान करें.

आवश्यकता अनुसार आमअमरूदनींबूअंगूरबेर और पपीते के बाग की सिंचाई करें.

नोडल अधिकारीवाराणसी (बीएचयू): जिले: वाराणसीआजमगढ़गाजीपुरचंदौलीसोनभद्रमिर्जापुरसंत रविदासनगरजौनपुर और मऊ

भारी वर्षा की स्थिति में मक्का के खेत में अतिरिक्त वर्षा जल को हटा दें.

जायद की फसल की बुवाई के बाद उसकी अच्छी तरह से सिंचाई करें क्योंकि ये फसलें विकास की अवस्था में हैं.

भारी वर्षा की स्थिति में ज्वार के खेत में अतिरिक्त वर्षा जल को हटा दें.

आमअमरूद और नींबूअंगूरबेर और पपीते के बागों की आवश्यकतानुसार सिंचाई करें.

English Summary: Farmers of these districts of Uttar Pradesh should do this work first, otherwise they will have to bear huge losses!
Published on: 23 August 2022, 06:02 PM IST

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