पंजाब के किसानों ने परेशानी दूर करने के लिए धान की सीधी बुवाई करने का निर्णय लिया है. अगर यह सफल रहा तो आगे भी इस विधि को किसान अपना सकते हैं.धान की बुवाई का सीजन शुरू होने वाला है और ऐसे में श्रमिकों और मजदूरों की कमी के कारण कई राज्यों में खेती के लिए परेशानीयों का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में पंजाब जैसे राज्य जहां बड़े पैमाने पर खेती होती है वहां इस बार खेती का तौर-तरीका बदला हुआ नजर आने वाला है. राज्य में श्रमिकों की कमी के कारण अब धान की सीधी बुवाई होगी. इस संबंध में कृषि विभाग द्वारा लक्ष्य भी तय कर दिया गया है और किसानों ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है. राज्य में कई किसानों ने अपने खेतों में सीधी बुवाई के लिए खेतों की जुताई को शुरू कर दिया है. किसान खेतो में बेड बनाकर उसके दोनों ओर धान के बीजों की रोपाई करेंगे. किसान ऐसा तजुर्बा पहली बार करेंगे. वहीं सीधी बुवाई करने वाले किसानों का मानना है कि उनको देखते हुए अन्य किसान भी इस प्रक्रिया को अपना रहे हैं. वहीं कुछ किसान जिनके पास श्रमिक रह गए हैं और वे अपने घर नहीं गये हैं वो पुरानी रोपाई वाली विधि से धान रोपेंगे.
गांव के कई किसानों का कहना है कि जिस तरह से लोग ट्रेनों में भरकर अपने गांव की ओर जा रहे हैं उससे साफ हो गया है कि जून महीने में श्रमिक मिलना मुश्किल है. वहीं सरकार ने भी किसानों को सीधे वुआई करने का निर्देश दिया है. विभाग के सचिव पद पर कार्यरत काहन सिंह पन्नू का कहना है कि हम किसानों को लगातार सीधी बुवाई के लिए प्रेरित कर रहे हैं और पांच लाख हेक्टेयर पर सीधी बुवाई करवाने का लक्ष्य रखा गया है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि पिछले साल धान की रोपाई लगभग 30 लाख हेक्टेयर पर की गई थी लेकिन इस बार इसे 27 लाख पर लाना चाहते हैं और बाकियों में कपास, मक्का, फल व सब्जियों की खेती को बढ़ाना चाहते हैं.
सीधी बुवाई को लेकर सचिव ने कहा कि किसानों को यह निर्देश दिया गया है किसान अपनी बीस फीसद जमीन से ज्यादा पर सीधी बुवाई न करें क्योंकि यह सभी का पहला प्रयोग है. वहीं किसानों को सीधी बुवाई में नदीन की समस्या आ सकती है लेकन इसके लिए भी किसानों की मदद के लिए हर संभव उपाय किए जाएंगे.
वहीं कृषि विभाग से रिटायर्ड अधिकारी डॉ.दलेर सिंह अपने 20 सालों के सीधी बुवाई का सफल तजुर्बा को सामने रकते हुए बताते हैं कि धान की खेती पानी के दोहन को बढ़ाने वाला माना जाता है. लेकिन अगर जमीन को कद्दू करके रोपाई करने की प्रक्रिया की जाए तो उसमें पानी नहीं लगेगा औऱ जमीन भी पथरीली होगी और बारिश के मौसम में पानी जमीन के अंदर भी नहीं जाता. उन्होंने बताया कि सीध बुवाई की प्रक्रिया में बेड बनाकर बुवाई की जाती है इसलिए इसमें 70 प्रतिशत तक पानी बचायी जा सकती है. वहीं आखीरी में उन्होंने यह भी कहा कि सीधी बुवाई से अगर किसानों को लाभ होता है तो अगले साल कई और किसान इससे जुडेंगे और सभी सीधी बुवाई पर लौट आएंगे.
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