हिमाचल प्रदेश और आसपास के क्षेत्रों में ओलावृष्टि ने विभिन्न सब्जियों और फलों की फसलों को नुकसान पहुँचाया है. शिमला शहर के आसपास के जिले में ग्रामीणों ने लगातार दूसरे दिन बारिश के साथ ओलावृष्टि की वजह से सेब और साथ ही मटियाना और नारकंडा में चेरी की फसल आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गई.
ढल्ली और कुफरी के बीच के क्षेत्रों में रविवार (12 मई 2019) को लगभग आधे घंटे तक भारी ओलावृष्टि हुई. जिससे काफी फसलों को हानि पहुंची. जिसमें सेब और टमाटर, फूलगोभी, मटर और गोभी जैसी सब्जियों को भी नुकसान हुआ.
शिमला जिले के बलदाइयां गाँव के एक किसान, नितु ने कहा कि "हमारे गाँव और आस-पास के इलाकों में 50 प्रतिशत सब्जी की फसलें खराब हो गई हैं. जिसकी वजह से काश्तकारों को 25,000 से 50,000 रुपये का नुकसान हुआ है." इस बार कि ओलावृष्टि ने उत्पादकों को आशंकित कर दिया है क्योंकि उनकी फसलें खराब हो रही हैं और उन्हें अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है.
परेशान किसानों ने राज्य सरकार से मुआवजा देने के लिए कहा है. क्योंकि इस साल अनिश्चित मौसम ने पहले ही कई फसलों को खतरे में डाल दिया है. किसान सभा के सदस्य सत्यवान पुंडीर ने राज्य सरकार से मुआवजे की राशि को बढ़ाने की गुजारिश करते हुए कहा कि राहत की राशि "बहुत कम" है और इस राशि से खेती करने वालों की जरूरतों को पूरा नहीं किया जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि “ओलावृष्टि ने हमारी सब्जियां खराब कर दी हैं और राज्य सरकार जो राशि देती है वह कृषि उपकरण खरीदने के लिए पर्याप्त नहीं है. सरकार को किसानों को बीज भी उपलब्ध कराना होगा. क्योंकि हमें कुछ फसलों की बुआई करनी होगी, जिसमें कम से कम पंद्रह दिन लगेंगे.
एक अन्य उत्पादक, शेर सिंह ने कहा उनकी पूरी फसल नष्ट हो गई थी, उन्होंने जो मटर बोई थी वह खराब हो गई थी. उन्होंने कह कि “ज्यादातर किसान भाईयों को सरकार की नीतियों की कोई जानकारी नहीं है. उनमें से केवल कुछ ही किसान है जो आवाज़ उठाते है, लेकिन यह हमारी हक की लड़ाई है, अगर किसान इसी तरह सरकारी की अनदेखी का शिकार होता रहा तो देश तरक्की नहीं कर सकता.