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Updated on: 1 October, 2021 3:34 PM IST
Soybean Cultivation

सोयाबीन विश्व की तिलहन और ग्रंथिकुल (nodule) फसल है. इतना ही नहीं यह प्रोटीन का एक ऐसा महत्वपूर्ण श्रोत है, जिसे अगर रोज हम अपने खान-पान में इस्तेमाल करें तो हमें प्रोटीन की कमी नहीं होगी और प्रोटीन की कमी से होने वाली बीमारियों से भी हम बच सकते हैं. सोयाबीन में प्रोटीन की मात्रा लगभग 40 से 50 % तक पाया जाता है. वहीं कार्बोहाइड्रेट की मात्रा इसमें 20% तक होती है.

आज से लगभग 4 दशक पहले सोयाबीन की खेती को व्यावसायिक रूप से आरम्भ किया गया था. इसके बावजूद भी आज सोयाबीन देश की मुख्य तिलहनी फसलों में से एक है. मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में भारतीय सोयाबीन अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गयी है. यहाँ पर सोयाबीन से जुड़े विभिन्न प्रकारों पर रिसर्च किया जाता है.

सोयाबीन के महत्व और उसकी जरुरत को समझते हुए किसान कल्याण तथा विकास मंत्री कमल पटेल ने कहा कि दलहन और तिलहन के रूप में इस्तेमाल हो रही सोयाबीन की अब  सब्जी भी बन सकेगी. अनुसंधान केंद्र और वैज्ञानिकों के मुताबिक हरी फली वाली सोयाबीन के किस्म को विकसित किया गया है. खेती को लाभ का धंधा बनाने का संकल्प पूरा करने में देश के साथ मध्य प्रदेश के कृषि वैज्ञानिक अपना महत्वूर्ण योगदान लगातार दे रहे हैं.

यह फसल किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में भी सफल होगी. कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गयी फसलों की यह नई किस्में छोटे और सीमांत किसानों के लिए बेहद फायदेमंद होंगी इस साल देश में मानसून सीजन खरीफ फसलों के अनुकूल रहा है, जिस वजह से देश में खरीफ फसलों का क्षेत्रफल काफी बढ़ा है. और उपज अधिक होने का अनुमान लगाया जा रहा है. खरीफ सीजन के दौरान सबसे ज्यादा पैदा होने वाले तिलहन सोयाबीन की उपज में इस साल 31 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी का अनुमान है.

English Summary: Farmers' luck will shine with green beans
Published on: 01 October 2021, 03:38 PM IST

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