Papaya Farming: पपीते की खेती से होगी प्रति एकड़ 12 लाख रुपये तक कमाई! जानिए पूरी विधि सोलर पंप संयंत्र पर राज्य सरकार दे रही 60% अनुदान, जानिए योजना के लाभ और आवेदन प्रक्रिया केवल 80 से 85 दिनों में तैयार होने वाला Yodha Plus बाजरा हाइब्रिड: किसानों के लिए अधिक उत्पादन का भरोसेमंद विकल्प किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 22 February, 2022 4:44 PM IST
Pearl Farming In Mandhata

आजकल के समय में खेतीबाड़ी एक ऐसा व्यवसाय बना गया है, जिसमें किसान निवेश से ज्यादा रिटर्न प्राप्त कर रहा है, क्योंकि आजकल की बढ़ती महंगाई के बीच लोगों के लिए जीवन यापन करने के लिए आर्थिक  स्थिति को मजबूत करना अहम हो गया है. वहीं, ज्यादातर सभी राज्य के किसान खेती की और अपनी रूचि रख रहे हैं.

किसान आमदनी को बढ़ाने के लिए खेती में नई – नई तकनीकों (New Technologies In Farming) का इस्तेमाल कर रहे हैं. एक ऐसा ही मामला  मध्यप्रदेश क्षेत्र के खंडवा के मांधाता क्षेत्र का है. जहां पर मोती की खेती पर काफी जोर दिया जा रहा है. जी हाँ, मांधाता में मोती की खेती (Pearl Farming In Mandhata ) की आबकारी विभाग के सेवानिवृत्त आबकारी अधिकारी सुरेंद्रपालसिंह सोलंकी ने शुरुआत की. जिससे वो अधिक मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं. चलिए जानते हैं कि इस मोती की खेती (Pearl Farming) से किस प्रकार मुनाफा कमाया जा सकता है. 

इसके लिए पहले दो हजार उत्पादक मोती से 5000 मोतियों की संख्या की जाएगी.  ऐसे ही धीरे – धीरे इस प्रकार 500 के बाद 1000 मोती उगाये जायेंगे. इस तरह मोती उत्पादक उद्योग में बढ़ोत्तरी हो जाएगी.

इसे पढ़ें - कम लागत में मशरूम की खेती से मिलेगा दोहरा मुनाफा, इसलिए युवाओं को किया प्रोत्साहित

खेत में तालाब बनाकर की जाती है खेती (Farming Can Be Done By Making A Pond In The Field)

  • प्राकृतिक मोती उत्पादन के लिए मोती की खेती की जा रही है. इसके लिए तालाब का इस्तेमाल किया जाता है. मोती की खेती के लिए करीब दस गुना दस आकार के तालाब की जरुरत होती है.

  • सबसे पहले इसकी खेती के लिए सीपियों को एकत्र करना होता है.

  • एकत्रित करने के बाद प्रत्येक सीपी में छोटी-सी शैली क्रिया के उपरांत इनके भीतर चार से छह मीटर के व्यास वाले साधारण या डिजाइन वाले जैसे गणेश बुध पुष्पक आकृति आदि डाले जाते हैं.

  • फिर सीपी को बंद किया जाता है. इसे बंद करने के बाद सीपियों को नायलान बैग में 10 दिनों तक एंटीबायोटिक और प्राकृतिक चारे पर रखा जाता है. हर रोज इनका निरीक्षण किया जाता है.

  • इसके बाद सभी सीपियों को तालाब में डाल दिया जाता है. मोतियों को नायलॉन बेगू में रखकर बांस या पीवीसी पाइप के सहारे से लटका दिया जाता है और तालाब में एक मीटर की गहराई में छोड़ दिया जाता है. अंदर से निकलने वाले पदार्थ सीपी के चारों और जमने लगता है. और अंत मे मोती का रूप ले लेते हैं.

एक मोती की कीमत 10 से 25 रुपये (The Cost Of A Pearl Is 10 To 25 Rupees)

मोती की खेती में खर्च की बात करें, तो तालाब को तैयार करने के लिए स्ट्रक्चर सेटअप में 10 से 12 हजार रूपए खर्च होते हैं. तालाब में तैयार किए गए प्रत्येक मोती की बाजार में कीमत 10 से 25 होती है.

English Summary: Farmers' luck shining with pearl farming
Published on: 22 February 2022, 04:52 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now