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Updated on: 20 June, 2020 5:50 PM IST

जून का आधा माह बीत जाने के बाद किसान खेती बाड़ी से संबंधित कार्यों में जुटे गए हैं. कृषि पर आधारित किसान पूरी तरह से प्रकृति के साथ जुड़ा हुआ है, कृषि के साथ किसान प्रकृति के ऊपर निर्भर होता है. किसान के सभी सपने कृषि व प्रकृति पर ही साकार होते हैं लेकिन प्राकृतिक आपदाओं की वजह से किसानों के सभी सपने चुर-चुर हो जाते हैं. विगत वर्ष मन्दसौर जिले में अतिवृष्टि व बाढ़ की वजह से पूरे जिले में तबाही मच गई थीं और उसी तबाही अतिवृष्टि की मार किसानों को अभी तक झेलना पड़ रही हैं. विगत वर्ष नष्ट हुई फसलों का मुआवजा प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद भी किसानों  को शत प्रतिशत मुआवजा राशि अभी तक नहीं मिली जिसका ख़ामियाज़ा किसानों को इस वर्ष खरीफ  सीजन की बुवाई में भुगतना पड़ रहा हैं.

गतवर्ष की अतिवृष्टि की मार की वजह से इस वर्ष बुवाई को लेकर किसानों के ऊपर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. मन्दसौर जिले सहित अंचल क्षेत्र में जून माह में मानसून की पहली बारिश होने से किसान खरीफ सीजन की बुवाई को लेकर खाद बीज की तैयारीयों में लग चुका है. मानसून की आहट को देखते हुए व खरीफ सीजन की बुवाई के लिए किसानों ने खेतों की हकाई कर तैयार कर रखे हैं. वही किसानों के सामने खरीफ सीजन की बुवाई को लेकर शुरुआती दौर में कई तरह की दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है. विगत वर्ष मध्य प्रदेश के कई जिलों में अतिवृष्टि व बाढ आने की वजह से किसानों की सोयाबीन सहित अन्य फ़सले पूरी तरह नष्ट हो चुकी थीं जिसकी वजह से इस वर्ष किसानों के पास बुवाई के लिए सोयाबीन बीज का संकट मंडराता नजर आ रहा हैं.

शासन प्रशासन को खरीफ सीजन की बुवाई को ध्यान में रखते हुए किसानों को पर्याप्त मात्रा में बीज उपलब्ध कराना चाहिए. जिससे किसान आसानी से बुवाई कर सके वही किसान इस वर्ष बुवाई से पहले ही चिंताओ के घेरे में लिपटा नजर आ रहा है पिछलें वर्ष की आर्थिक कमजोरी को देखते हुए व्यापारी किसानों को आसमानी व महंगे भावों पर सोयाबीन बीज विक्रय कर रहे हैं. जिससे किसान और भी आर्थिक बोझ तले दबता जा रहा है.

किसानों पर अतिवृष्टि की मार

क्षेत्र के किसानों ने बताया की विगत वर्ष अतिवृष्टि की मार इस वर्ष भी किसानों को झेलना पड़ रही है. गतवर्ष अत्यधिक बारिश व बाढ की वजह से सोयाबीन की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई थी, जिससे हमारे पास इस वर्ष बुवाई के पर्याप्त मात्रा में सोयाबीन का बीज नही बचा है, और बाज़ार में सोयाबीन का बीज 7 हज़ार से लेकर 8 हज़ार तक बिक रहा है किसान इतने भाव का बीज लेकर कैसे खेती करें. इस वर्ष सोयाबीन के बीज को लेकर किसानों को कई परेशानियो का सामना करना पड़ रहा है बीज महंगा होने के कारण किसान बाज़ार से बीज खरिद नहीं पा रहा हैं. दिलीप पाटीदार का कहना है कि इस वर्ष किसान को सोयाबीन के बीज को लेकर परेशान होना पड़ रहा है. सोयाबीन के बीज को प्रशासन की तरफ़ से कोई मदद  नही मिल पा रही है. अतिवृष्टि व बाढ के कारण से सोयाबीन की फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई थी जिससे किसानों के पास सोयाबीन के बीज की दिक़्क़त आ गई है. बाज़ार में सोयाबीन के बीज का भाव 7 हज़ार से लेकर 8 हज़ार तक मिल रहा है जो काफी महंगा पड़ रहा है. प्रशासन की तरफ़ से अभी तक कोई मदद नहीं मिली है व्यापारी अपनी मन-मर्ज़ी के भाव में सोयाबीन के बीज बेच रहे हैं.

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English Summary: Farmers engaged in farm work due to the arrival of monsoon
Published on: 20 June 2020, 05:54 PM IST

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