बीते वर्ष दिल्ली में कृषि कानून के खिलाफ किसानों द्वारा धरना प्रर्दशन किया गया था. अब ऐसी ही कुछ तस्वीरें नीरदलैंड से देखने को मिल रही हैं, जहां पर किसान सरकार के फैसले के विरोध में ट्रैक्टर मार्च निकाल रहे हैं तथा सुपरमार्केट में फूड सप्लाई चैन भी रोक दिया है.आपको बता दें कि किसान सरकार से नाराज हैं, क्योंकि हाल ही में नीरदलैंड सरकार ने कृषि क्षेत्र से होने वाले उत्सर्जन को कम करने का लक्ष्य रखा है, इसलिए सरकार ने नाइट्रोजन वाली खाद पर बैन लगाया है. अब इसके विरोध में किसान सकड़ों पर खाद फैला रहे हैं.
क्यों हो रहा विरोध (Farmers protest Netherland why)
किसानों का यह विरोध प्रर्दशन इसलिए शुरू हुआ, क्योंकि सरकार ने 2030 तक नाइट्रोजन ऑक्साइड और अमोनिया जैसे प्रदूषकों के उत्सर्जन को 50 से 70 फीसदी तक कम करने का प्रस्ताव रखा है. प्रांतीय सरकारों को यह लक्ष्य प्राप्ती के लिए योजना बनाने के लिए एक वर्ष का समय दिया गया है. लक्ष्य में पशुधन को कम करना और कुछ ऐसे खेतों को खरीदना शामिल है, जिनसे जानवर बड़ी मात्रा में अमोनिया का उत्पादन करते हैं, तथा नाइट्रोजन वाली खाद पर बैन भी लगाया है. किसानों का कहना है कि उन्हें गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा है और उन्हें उनके भविष्य के लिए कोई योजना भी नहीं बनाई जा रही है.
किसानों का प्रर्दशन (Farmers protest Netherland)
नीदरलैंड के हजारों किसानों ने अपने ट्रैक्टरों के साथ बंदरगाहों, हवाई अड्डों, सड़कों के साथ-साथ सुपरमार्केट वितरण केंद्रों को ब्लाक कर दिया है. विरोध तेज होने के कारण सुपरमार्केट खाद्य आपूर्ति में कमी देखने को मिल रही है. अन्य क्षेत्रों ने भी विरोध प्रदर्शन में शामिल होना शुरू कर दिया है. वहीं, मछुआरों ने बंदरगाहों को बंद कर दिया है.
हालाँकि, नीदरलैंड के प्रधानमंत्री मार्क रूट ने इस योजना का बचाव करते हुए कहा है कि बढ़ती महंगाई के बीच लोगों की मदद करने के लिए "एक सरकार क्या कर सकती है उसकी भी एक सीमा है”. यह वह जवाब नहीं है जो एक आम आदमी अपनी सरकार से चाहता है.
किसानों के समर्थन में बाकी देश (Other countries supporting Netherlands farmers)
जर्मन, इतालवी, स्पेनिश और पोलिश के किसानों ने भी एकजुटता दिखाने के लिए विरोध प्रदर्शन शुरू किया है, उन्हें डर है कि उनकी सरकार भी यूरोपीय संघ के नियमों का पालन करने के लिए इसी तरह की योजना को लागू कर सकती है. 6 जून को, जर्मन किसानों ने नीदरलैंड-जर्मन सीमा पर सड़कों को ब्लॉक कर दिया था. इतालवी किसानों ने भी ग्रामीण इलाकों में ट्रैक्टर विरोध प्रदर्शन किया.
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पोलिश किसानों ने उच्च ब्याज दरों के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर कब्जा कर लिया, जिसने उत्पादन को अस्थिर कर दिया है और उनकी आजीविका को खतरा है. उन्होंने सस्ते खाद्य आयात की अनुमति देने के लिए भी सरकार को दोषी ठहराया है. बढ़ती महंगाई की मार स्पेन तक भी पहुंच गई है जहां किसानों ने उच्च ईंधन की कीमतों और आवश्यक उत्पादों की बढ़ती लागत के खिलाफ अंडालूसिया के दक्षिणी क्षेत्र में राजमार्गों को ब्लॉक कर दिया.