बेशक, कृषि कानूनों को लेकर चल रहा आंदोलन अब आहिस्ता-आहिस्ता गुजरे जमाने की बात हो रही हो, लेकिन इस रिपोर्ट में हम आपको जिस खबर से रूबरू कराने जा रहे हैं, उसे पढ़कर यकीनन आपके होश फाख्ता हो जाएंगे. इस खबर से इतना तो साफ हो चुका है कि अब चाहे कुछ भी हो जाए किसान भाई अपने कदम पीछे करने वाले नहीं हैं, लेकिन ऐसी स्थिति में यह देखना बेहद दिलचस्प रहेगा कि आखिर किसानों के इस रवैये पर सरकार की क्या प्रतिक्रिया रहती है?
यह है पूरा माजरा
उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में भाजपा के पूर्व सांसद तेजवीर सिंह कृषि कानूनों के खिलाफ आक्रोशित किसानों को समझाने गए थे. वे अपने जेहन में यह गलतफहमी पाल बैठे थे कि जिन अन्नदाताओं को देश का पूरा सरकारी अमला समझाने में नाकाम रहा, जिन्हें समझाने में खुद पीएम मोदी और अमित शाह जैसे सियासी बादशाह भी असमर्थ रहे.
उन्हें यह समझा देंगे खैर, तेजवीर सिंह की जेहनी मुगालातों को उस समय गहरा सदमा लग गया, जब इन्हें किसानों के आक्रोश का सामना करना पड़ा. इनकी आंखें फटी की फटी रह गई, जब इन्हें चौतरफा घेर लिया गया. इनका हाल बेहाल हो गया जब किसान इनकी गाड़ियों पर पथराव करने पर आमादा हो गए. बहरहाल, गनीमत यह रही कि कैसे भी करके पूर्व सांसद साहब अपने आपको बचाने में तो कामयाब रहे, लेकिन वे अपनी इस कामयाबी से खुश नहीं दिख रहे थे, चूंकि वे जिस मकसद से वहां गए थे, अफसोस वो उसे मुकम्मल न कर पाए.
किसानों को मनाने की जुगत जारी
गौरतलब है कि वर्तमान में केंद्र सरकार से नाराज हो चुके किसानों को मनाने के लिए भाजपा नेता लगातार चौपाल कर रहे हैं. उनको कृषि कानूनों के फायदे गिना रहे हैं. उन्हें केंद्र सरकार की उपलब्धियों से रूबरू कराकर अपनी ओर रिझाने की कोशिश कर रहे हैं, मगर अफसोस उनकी यह कोशिश कहीं से भी सफल होती हुई नजर नहीं आ रही है. नतीजा यह हो रहा है कि उनका यह दांव उल्टा उन्हीं पर भारी पड़ रहा है.
क्या कहते हैं तेजवीर सिंह
वहीं, इस पूरे मामले को लेकर तेजवीर सिंह बताते है कि वे तो किसानों को समझाने गए थे. उन्होंने अपनी तरफ से भरसक प्रयास भी किया, मगर अफसोस उनकी यह कोशिश कामयाब न हो पाई. उल्टा ही उन्हें ही इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ गई. उन्हें किसानों के कहर का सामना करना पड़ गया. किसान उनके खिलाफ नारेबाजी करने लगे.