आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने चीनी और (ए.आई.सी.सी.) खाद्यान्न उत्पादों की जूट के बोरों (Jute Bags) में पैकिंग को अनिवार्य कर दिया है. यह नियम जून 2018 में समाप्त हो रहे वर्ष के लिए बनाया गया है.
किसानों की आजीविका की जरूरत होगी पूरी
सरकार का यह कदम सराहनीय है इस कदम से जूट की मांग (Demand of Jute) बरकरार रहेगी. इसी के साथ ही इस काम में लगे मजदूरों और किसानों की आजीविका की जरूरत को भी पूरा किया जा सकेगा.
देश के पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम, आंध्र प्रदेश, मेघालय और त्रिपुरा में एक बड़ा तबका जूट का काम करता है. जिससे की उनकी आजीविका चलती है. सी-ने जूट पैकिंग सामग्री अधिनियम ए.ई.सी. 1987 के तहत अनिवार्य पैकिंग नियमों का विस्तार किया है.
इस नियम के मुताबिक अब 90 फीसदी खाद्यान्नों और 20 फीसदी चीनी उत्पादों की पैकिंग जूट के बोरों में किया जाना अनिवार्य है. बयान में कहा गया है कि पहली बार में पूरे खाद्यान्नों को पैक करने के लिए जूट के बोरों का इस्तेमाल करने का प्रावधान है.
इस नियम के मुताबिक अब 90 फीसदी खाद्यान्नों और 20 फीसदी चीनी उत्पादों की पैकिंग जूट के बोरों में किया जाना अनिवार्य है. बयान में कहा गया है कि पहली बार में पूरे खाद्यान्नों को पैक करने के लिए जूट के बोरों का इस्तेमाल करने का प्रावधान है.