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Updated on: 16 July, 2022 9:50 PM IST

नैनो यूरिया लिक्विड (Nano Urea Liquid) का ड्रोन तकनीक से छिड़काव (Drone Spray) करने के लिए आईजी ड्रोन (IG Drone) ने इफको (IFFCO) के साथ मिलकर फील्ड परीक्षण शुरू किया है. दरअसल, भारत यूरिया (Urea) का शीर्ष उपभोक्ता है और दुनिया में डाय-अमोनियम फॉस्फेट 2025 तक आत्मनिर्भरता हासिल करने का लक्ष्य है. साथ ही सरकार इफको द्वारा बने नैनो-यूरिया पर स्विच करके 40,000 करोड़ रुपये की बचत की उम्मीद जाता रही है.

नैनो यूरिया तरल है किसानों का साथी (Liquid Nano Urea Benefits)

भारत दुनियाभर में कृषि में एक प्रमुख खिलाड़ी है. ऐसे में मिट्टी, पानी और पोषक तत्व प्रबंधन में सुधार के माध्यम से फसल उत्पादकता में वृद्धि हासिल की जा सकती है, जिससे कृषि क्षेत्र की तेजी को बनाए रखने में मदद मिलेगी.

ज्यादातर अधिकारी नैनो यूरिया तरल (Nano Urea Liquid) पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. ऐसा इसलिए है, क्योंकि यह कम कीमतों पर उर्वरकों के निर्बाध प्रावधान (Free Provision) में सुधार करने के लिए भूमिगत जल की गुणवत्ता में सुधार, फसल के आहार और उत्पादकता को बढ़ाने में बेहद उच्च गुणवत्ता वाला पाया गया है.

नैनो यूरिया तरल संयंत्र (Nano Urea Liquid Plant)

गुजरात के कलोल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आधिकारिक तौर पर इतिहास में पहले नैनो यूरिया तरल संयंत्र को हरी झंडी दिखाई है. भारत सरकार द्वारा अनुमोदित और उर्वरक नियंत्रण आदेश द्वारा कवर किया गया एकमात्र नैनो उर्वरक भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (इफको) द्वारा निर्मित नैनो यूरिया है. इसे इफको की सहायता से बनाया और पेटेंट कराया गया है.

ड्रोन के लिए फील्ड प्रशिक्षण (Field Training for Drones)

इफको ने दुनिया में पहली बार नैनो तकनीक की शुरुआत की, ताकि उर्वरकों के प्रसार में किसानों की मदद की जा सके. इसी के चलते पोषक तत्वों के समान वितरण में ड्रोन की मदद से एक फील्ड परीक्षण किया गया.

ग्रेन्युलर और नैनो यूरिया में अंतर (Granular Urea VS Nano Urea)

किसान वर्तमान में ग्रेन्युलर यूरिया का उपयोग करते हैं. ऐसे में इफको का यह दावा है कि 50 किलोग्राम ग्रेन्युलर यूरिया, नैनो यूरिया की एक छोटी बोतल के बराबर होता है, जिसमें 500 मि.ली होती है. इसके परिणामस्वरूप यूरिया की लॉजिस्टिक लागत काफी कम हो जाएगी.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इनमें से आठ माइक्रो यूरिया संयंत्र देश भर में बनाए जाएंगे. 2025 तक, तरल उर्वरकों के लिए वैश्विक बाजार का आकार 4.4% के सीएजीआर के साथ 3 बिलियन अमरीकी डॉलर होने का अनुमान है.

खेती की लागत आएगी कम (Decrease Investment in Agriculture)

कम समय में अधिक भूमि पर छिड़काव करने के लिए ड्रोन का उपयोग करके समस्याओं को ठीक किया जाएगा. इससे किसानों के पास अधिक समय बचेगा और खर्च भी कम आएगा यानी छिड़काव में कम पैसे खर्च होंगे.

इसकी सबसे बड़ी बात है कि यह सबसे किसानों के लिए वित्तीय बचत में तब्दील होगा. साथ ही स्प्रिंकलर की सुरक्षा की भी गारंटी दी जाएगी. ड्रोन सबसे महत्वपूर्ण घटकों में से एक है, क्योंकि वे पोषक तत्वों को तेजी से फैलाने का एकमात्र साधन है.

English Summary: Drone technology of spraying nano urea will save money for farmers, will increase quality and income
Published on: 16 July 2022, 05:37 PM IST

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