मध्य प्रदेश के निमाड़ में चीन और अमेरिका के प्रमुख फसलों में से एक ड्रैगन फ्रुट की खेती पहली बार की जा रही है। बता दें कि यह बेहद की काम का पल है जो कि लाभदायक होता है. यह कई बीमारियों में सहायक होता है. बड़वानी जिले में इसकी पहली बार खेती सेंधवा निवासी उन्नतशील किसान डॉ गांगाराम सिगोरिया ने शुरू की है। देश में इसकी खेती महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा के स्थानों पर की जा रही है। गत वर्ष मुंबई से सात हजार ड्रैगन फ्रुट के पौधे लेकर आए थे। इसका एक पौधा पचास रूपए का था। इन पौधे की टहनियों को काटकर एक लाख पौधे को तैयार किए है। वह जुलाई में 16 एकड़ में डेढ़ लाख से अधिक पौधे रोपेंगे। इसमें तीसरे वर्ष से पौधे लगना शुरू हो जाएंगे.
ऐसे लगेगे पौधे
यहां पर जो सड्रैगन फ्रुट की खेती हो रही है इसमें शुरूआती दौर में एक पौधे पर छह से 10 फल लगते है। बाद में इनकी संख्या आसानी से बढ़ जाती है। यह ड्रेगन फ्रुट 120 से 180 रूपए किलो में बिकता है. डॉ सिंगोरिया इससे पहले सफेद मुसली व सुपर फूड चिया सहित अन्य फूलों की खेती कर सकते है।
ये होता है ड्रैगन फ्रुट
इस फल का नाम ड्रैगन फ्रुट है।इसे पिताया या स्ट्रॉबेरी पीयर के नाम से भी जाना जाता है. इसके फायदों को जानकार आप खुद इसे खाने से नहीं रोक सकते है. यह फल बाहर से तो दिखने में काफी ऊबड़ खबड़ होता है लेकिन ये फल काफी मुलायम और काफी स्वादिष्ट होता है। ड्रैगन फ्रुट का वैज्ञानिक नाम हायलेसिरस अनडेटस है।इसका उत्पादन मध्य अमेरिका, थाईलैंड, वियतनाम, मलेशिया में भी इसका काफी स्तर पर उत्पादन किया जाता है।
यह है खासियत
सेंधवा के उद्यानिकी विभाग के मुताबिक अपने औषधीय गुणों के कारण इस फल की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी ज्यादा मांग होती है. इसके पूल ज्यादातर रात के समय में ही खिलते है। साथ ही इनके पकने पर इनका रंग लाल होता है। इसके फल बनने में 40 से 45 दिन लगते है और इनका औसत वजन 200 से 350 ग्राम होता है।
ड्रैगन फ्रुट की खासियत
ड्रैगन फ्रुट डायबिटीज, अस्थमा, कोलेस्ट्रोल के मरीजों के लिए रामबाण फल होता है। यह आपकी सेहत को काफी ज्यादा तंदरूस्त रखने में सहायक होता है।