यूपी-बिहार और गुजरात समेत इन 6 राज्यों में 21 जून तक तूफान और भारी बारिश की चेतावनी, जानें अपने शहर के मौसम का हाल किसानों के लिए खुशखबरी! ग्रीष्मकालीन मूंग और उड़द की होगी MSP पर खरीदी, 19 जून से रजिस्ट्रेशन शुरू Black Carrot Farming: काली गाजर की खेती से किसान कमा रहे मोटा मुनाफा, जानें जबरदस्त फायदे और बढ़ती बाजार मांग किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 10 April, 2025 10:17 AM IST
एनसीओएनएफ-गाजियाबाद के निदेशक डॉ. गगनेश शर्मा

KJ Chaupal: नई दिल्ली स्थित कृषि जागरण के कार्यालय में 9 अप्रैल,2025 को एनसीओएनएफ-गाजियाबाद के निदेशक डॉ. गगनेश शर्मा ने दौरा किया. जहां उन्होंने केजे चौपाल में डॉ. गगनेश शर्मा ने भारत में जैविक खेती की बढ़ती गति पर प्रकाश डाला, एनसीओएनएफ की भूमिका पर जोर दिया और देश भर में जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सभी हितधारकों के बीच सहयोग के महत्व पर बल दिया.

राष्ट्रीय जैविक एवं प्राकृतिक खेती केंद्र (NCONF), गाजियाबाद ने देश में जैविक, प्राकृतिक और पुनर्योजी खेती को बढ़ावा देने के लिए अपने कार्यों और उपलब्धियों को साझा किया. यह केंद्र पहले राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र (NCOF) के नाम से जाना जाता था. इसकी स्थापना 2004 में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय जैविक खेती परियोजना (NPOF) को लागू करने के उद्देश्य से की गई थी. मार्च 2022 में इसका नाम बदलकर NCONF कर दिया गया.

NCONF के पांच क्षेत्रीय केंद्र देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थित हैं –

  • गाजियाबाद (उत्तर)
  • बेंगलुरु (दक्षिण)
  • भुवनेश्वर (पूर्व)
  • नागपुर (पश्चिम और मध्य)
  • इंफाल (उत्तर-पूर्व)

कार्यक्रम के दौरान डॉ. शर्मा ने बताया कि 2004 में जहां जैविक खेती केवल 40,000 हेक्टेयर भूमि पर होती थी, वहीं अब यह बढ़कर 8 मिलियन हेक्टेयर तक पहुंच गई है. उन्होंने इसे कृषि मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय और एफएसएसएआई जैसे संगठनों के सहयोग का परिणाम बताया.

प्राकृतिक खेती मिशन पर जोर

डॉ. शर्मा ने राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन का भी उल्लेख किया, जिसे सरकार ने हाल ही में शुरू किया है. इस मिशन का उद्देश्य किसानों को प्रशिक्षण देकर प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित करना है. उन्होंने बताया कि NCONF को प्राकृतिक खेती के लिए नए प्रमाणन मानक तैयार करने और बायो-इनपुट संसाधन केंद्र स्थापित करने की जिम्मेदारी दी गई है.

गाय आधारित फार्मूले पर बल

डॉ. शर्मा ने कहा कि किसानों को खेत पर उपलब्ध संसाधनों जैसे गाय का गोबर, गोमूत्र, जीवामृत, बीजामृत और मल्चिंग का उपयोग कर खेती करनी चाहिए. उन्होंने यह भी बताया कि उद्यमियों को प्रशिक्षित कर इन केंद्रों को मजबूत बनाया जाएगा.

कृषि जागरण को सराहना

कार्यक्रम के अंत में डॉ. शर्मा ने कृषि जागरण की टीम की सराहना की, जो MIONP (Make India Organic, Natural and Profitable) पहल के अंतर्गत किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. उन्होंने सभी हितधारकों से मिलकर कार्य करने की अपील की.

कृषि जागरण की टीम और एनसीओएनएफ-गाजियाबाद के निदेशक डॉ. गगनेश शर्मा

कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन और समूह चित्र के साथ हुआ, जिसमें सहयोग और साझा संकल्प का भाव दर्शाया गया.

English Summary: Dr. Gaganesh Sharma says Bio-input resource centers and certification schemes will change the future of agriculture
Published on: 10 April 2025, 10:23 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now