हमारे देश में जितनी भारतीय रुपए की ताकत है, उतनी ही इसे बाहर के देशों में कम समझा जाता है. देखा जाए, तो इस समय भारतीय रुपया अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है.
एक रिपोर्ट के अनुसार, इस साल यानी साल 2022 की शुरुआत से लेकर अब तक डॉलर ने ना सिर्फ भारतीय रुपए को गिराया, बल्कि यूरोप से लेकर अमेरिकी महाद्वीप की अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं को भी रुलाया है. मुद्रा की इस दौड़ ब्रिटिश पौंड व जापानी येन भी डालर का मुकाबला नहीं कर पाई है.
कितना का हुआ एक डॉलर (how much is a dollar)
वर्तमान समय में एक डॉलर 79.74 रुपए का है. वहीं यह पिछले साल दिसंबर में 74.50 रुपए तक था. बताया जा रहा है कि इस साल रुपए का यह सबसे निचला स्तर माना जा रहा है.
डॉलर अब तक सबसे ऊपर (dollar tops ever)
कई लोग यह सोच रहे होंगे कि डॉलर की यह मजबूती सिर्फ भारतीय रुपए के आगे हैं. तो आप गलत हैं. आपको बता दें कि इस साल 2022 में डॉलर ने बाकी दुनिया की करेंसी को भी नीचे गिरा दिया है. मिली जानकारी के अनुसार, यूरोपीय देशों की मुद्रा Euro, ब्रिटेन की पौंड, जापानी की येन, स्विट्जरलैंड की फ्रैक, कनाडा के डॉलर और स्वीडन की क्रोना पर भी डॉलर ने अपना दबदबा बनाया है. इस सब पर डॉलर ने लगभग 13 प्रतिशत तक अपनी मजबूती को हासिल किया है.
इसलिए मजबूत हुआ डॉलर (that's why the dollar strengthened)
आपको बता दें कि इस बार डॉलर को इतनी मजबूती इसलिए मिली है, क्योंकि पिछले कुछ समय से निवेशकों के ज्यादा जोखिम लेने के कारण डॉलर मजबूत हुआ है. इसके अलावा साल 2021 में दूसरी छमाही से विकसित देशों में महंगाई बढ़ी. इसी के बीच अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने भी महंगाई पर नियंत्रण रखने के लिए कई तरह के प्रयास किए हैं, जिसके चलते ब्याज दरें बढ़ाई गई हैं.
एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि फरवरी में रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते बढ़ी कीमतों के कारण भी डॉलर इतना मजबूत हुआ है, क्योंकि युद्ध के दौरान तेल बेहद महंगा हुआ. इसी कारण से इंपोर्ट बिल बढ़ने लगे, जिसका असर सीधे देश की करेंसी पर देखने को मिला.