पश्चिम बंगाल में पीएम किसान सम्मान निधि योजनाओं का लाभ किसानों को नहीं मिलने को लेकर केंद्र की मोदी सरकार ममता बनर्जी सरकार की आलोचना करती रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बंगाल के किसानों को पीएम किसान सम्मान नीधि का लाभ पाने से वंचित करने पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर कई बार निशाना साध चुके हैं. ममता भी इसके लिए अपना अलग तर्क पेश करते हुए पश्चिम बंगाल के साथ भेद-भाव करने का आरोप केंद्र पर लगाती रही है. बंगाल के प्रवासी मजदूरों को पीएम गरीब कल्याण रोजगार योजना में शामिल नहीं करने पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र के विरुद्ध एक बार फिर राजनीतिक मोर्चाबंदी शुरू कर दी है.
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारण ने रविवार के इस पर सफाई देते हुए कहा था कि पश्चिम बंगाल सरकार ने समयानुसार प्रवासी मजदूरों पर केंद्र को तथ्य उपलब्ध नहीं कराया. इसलिए गरीब कल्याण रोजगार योजना में पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूरों को शामिल नहीं किया जा सका. देश के 116 जिलों के प्रवासी मजदूर गरीब कल्याण रोजगार योजना का लाभ पा रहे हैं. इसके लिए पश्चिम बंगाल सरकार अपने राज्य के मजदूरों का नाम नहीं उबल्ध कराई. अगर राज्य के मजदूर और किसान केंद्रीय योजनाओं का लाभ पाने से वंचित हो रहे हैं तो इसके लिए ममता बनर्जी की सरकार जिम्मेदार है. सीतारमण ने कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि योजना का लाभ पूरे देश के किसानों को मिल रहा है. लेकिन ममता बनर्जी की सरकार ने पश्चिम बंगाल में इसको लागू नहीं किया और इस तरह बंगाल के किसान पीएम किसान सम्मान निधि योजना का लाभ पाने से वंचित हो रहे हैं.
राज्य के वित्तमंत्री अमित मित्रा ने सीतारमण के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है. उन्होंने केंद्रीय वित्तमंत्री पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है. मित्रा ने कहा राज्य की कृषक बंधु परियोजना पीएम किसान सम्मान निधि की तरह भूमि के परिमाण पर आधारित नहीं है. राज्य की कृषक बंधु परियोजना केंद्र सरकार की पीएम किसान सम्मान निधि योजना से बेहतर है. मित्रा ने सफाई देते हुए कहा कि किसान परिवार के किसी भी व्यस्क सदस्य की असमय मृत्यु होने पर उसके परिजनों को 2 लाख रुपए दिए जाते हैं. राज्य की कृषक बंधु परियोजना के तहत अब तक 9440 परिवारों में प्रत्येक को 2 लाख रुपए दिए गए हैं. अब तक 2254 करोड़ रुपए किसान परिवार में वितरित किए गए हैं. केंद्रीय वित्त मंत्री को बंगाल के किसानों को वंचित होने का आरोप लगाने से पहले राज्य से यह तथ्य लेना चाहिए. राज्य सरकार बंगाल के किसानों के लिए और कई सरकारी योजनाएं चला रही है. बंगाल के किसान किसी तरह से वंचित नहीं हैं.
मित्रा ने प्रवासी मजदूरों पर तथ्य नहीं देने के केंद्रीय वित्तमंत्री के आरोप को भी सिऱे से खारिज किया है. मित्रा ने कहा कि 23 जून को केंद्र से पत्र मिलने के बाद राज्य सरकार की ओर से उसी दिन शाम को प्रवासी मजदूरों पर जिलेवार विस्तृत तथ्य केंद्र को भेज दिया गया. 25 जून को केंद्र ने फिर ब्लाक स्तर पर तथ्य भेजने को कहा तो इस निर्देश का भी पालन किया गया. राज्य सरकार ने 20 जिलों से प्रवासी मजदूरों पर तथ्य भेजा था. विभिन्न राज्यों से अब तक बंगाल में 14 लाख प्रवासी श्रमिक लौटे हैं. राज्य सरकार उनके लिए अपने स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने की व्यवस्था कर रही है.
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उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 जून को प्रवासी मजदूरों को उनके गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराने को ध्यान में रखकर ‘गरीब कल्याण रोजगार अभियान’ योजना की घोषणा की थी. 6 राज्यों के उन 116 जिलों में यह योजना शुरू की गई है जहां प्रवासी मजदूरों की संख्या 25 हजार से ज्यादा है. लेकिन इस योजना के अंतर्गत पश्चिम बंगाल को शामिल नहीं करने विवाद गहाराने लगा है. हैं. कांग्रेस और माकपा दोनों विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस प्रमुख व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का साथ देने पर सहमत हुई हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अब्दुल मन्नान ने कहा है कि भाजपा बंगाल विरोधी है. इसलिए गरीब कल्याण योजना के अंतगर्गत बंगाल के एक भी जिला को शामिल नहीं किया गया. वाममोर्चा विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा है कि गरीब कल्याण योजना का लाभ बंगाल के प्रवासी मजूदरों को नहीं देना अनुचित है. माकपा इस पर केंद्र का विरोध करेगी. ममता ने सर्वदलीय बैठकर में इस मुद्दे पर विपक्षी पार्टियां कांग्रेस और वाममोर्चा को विश्वास में लिया है. इसके लिए वह अब चौतरफा केंद्र पर दबाव डालेंगी. राज्य के वित्तमंत्री अमित मित्रा ने कहा कि है राजनीतिक स्तर पर केंद्र बंगाल के प्रवासी मजदूरों के साथ भेद-भाव कर रहा है.