देशभर में इन दिनों मौसम में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है. कई जगहों पर जहां प्री-मानसून की बारिश ने कहर बरपाया है, तो वहीं कई जगहों पर भीषण गर्मी का प्रकोप जारी है. बदलते मौसम का प्रभाव किसानों के फसलों पर भी देखने को मिलता है. यही वजह है कि मौजूदा मौसम को देखते हुए आए दिन मौसम विभाग राज्य स्तरीय एग्रोमेट एडवाइजरी जारी करता है. इस एडवाइजरी में किसानों की फसलों को लेकर जरूरी सलाह दी जाती है. ऐसे में आइए इस लेख में जानते हैं ओडिशा के एग्रोमेट एडवाइजरी में किसानों को क्या सलाह दी गई है.
भुवनेश्वर के किसानों के लिए जरूरी सलाह
IMD के मौसम विज्ञान केंद्र भुवनेश्वर ने किसानों को जरूरी सलाह देते हुए, बताया है कि किसान भाई इस मौसम में कैसे अपनी फसलों की सुरक्षा कर सकते हैं.
धान की खेती के लिए हमेशा प्रमाणित बीजों का ही प्रयोग करें. बुवाई से पहले अंकुरण परीक्षण की सलाह दी जाती है.
चीटियों से बचने के लिए नर्सरी की तैयारी के दौरान नर्सरी बेड के चारों ओर डस्ट क्लोरोपायरीफॉस पाउडर (Dust Chloropyriphos powder) लगाएं.
अंतिम भूमि की तैयारी के दौरान 2 टन अच्छी तरह से विघटित एफवाईएम (decomposed FYM ) डालें.
शुष्क अवस्था में पर्याप्त मात्रा में सिंचाई करें.
मिट्टी में उच्च नमी की स्थिति बनाए रखने के लिए मल्च लगाएं.
उच्च तापमान से बचने के लिए ताजी सब्जियों की नर्सरी को पॉलिथीन या पुआल से ढक दें.
पशुओं को स्वच्छ और पर्याप्त पानी उपलब्ध कराएं. उन्हें या तो सुबह या दोपहर के समय चरने के लिए छोड़ दें.
दिन के बढ़ते तापमान से टमाटर और बैगन में बैक्टीरियल विल्ट रोग हो सकता है. 10 लीटर पानी में 1 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन का छिड़काव पौधों का जड़ क्षेत्र में करें.
कटे हुए धान की थ्रेसिंग के लिए जाएं. थ्रेसिंग के बाद, खपत के उद्देश्य से धान के दानों को 14% नमी में धूप में सुखाना चाहिए और बीज के लिए इसे 12% नमी तक सुखाया जाना चाहिए.
कटे हुए धान/चावल के सुरक्षित भंडारण के लिए 'सुपर ग्रेन बैग' का उपयोग करें, जो अधिक समय के लिए इसके गुणवत्ता, बनावट, रंग, सुगंध और स्वाद को बनाए रखने में सहायक है.
बारिश के पानी के बेहतर उपयोग के लिए बारिश से ठीक पहले सब्जियां लगाने के लिए जाएं.
धान का खेत (PADDY)
अच्छी गुणवत्ता वाले बीज प्राइमिंग (Good Quality Seed Priming)
यदि आप अपने स्वयं के कटे हुए बीजों का उपयोग कर रहे हैं, तो 10 लीटर पानी में 10 किलो बीज के लिए 1 किलो नमक घोलें. इसमें 2-3 किलो बीज को एक बार में डुबाकर रखें और तैरते हुए शैफी और खरपतवार को हटा दें. घोल के तले में बसे भारी बीजों को इकट्ठा करके साफ पानी से 2 से 3 बार धो लें. अब बीजों को fungicides से उपचारित करने से पहले 2-3 दिनों के लिए सीधी धूप में सुखा लें.
बीज उपचार
धान को बोने से पहले बीजोपचार आवश्यक है. यह कुछ हद तक बीज जनित रोगों को नियंत्रित करेगा. बुवाई से पहले, बीज उपचार के लिए कार्बेन्डाजिम 50% WP @ 2- ग्राम / किग्रा बीज या कार्बोक्सिन 37.5% + थीरम 37.5% D.S WP या थीरम 75% WS @ 3 ग्राम/किलोग्राम का उपयोग कर सकते हैं.
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मक्का (MAIZE)
मक्के की बुवाई के लिए नवजोत, शक्ति, डेक्कन107, डेक्कन-109 जैसी अधिक उपज देने वाली किस्में उगाएं. इसके लिए 6 किलो बीज को प्रति एकड़ के लिए प्रयोग करें. 55 किलो डीएपी और 22 किलो पोटाश बेसल उर्वरक (basal fertilizer) के रूप में डालें.
सहजन (DRUMSTICK)
ड्रम स्टिक में फली बेधक के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए साइपरमेथ्रिन @ 80 ग्राम प्रति एकड़ का 15 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करें.
रतालू (YAM)
रतालू की रोपाई के लिए मई से जून का समय सबसे उपयुक्त होता है. स्थानीय किस्म की तरह रतालू की उपयुक्त उच्च उपज देने वाली किस्में उगाएं, जैसे- श्रीकीर्ति,श्रीरूपा, हतीखोज, श्रीशिल्पी, छोटा यम: श्रीलता, श्रीकला, सफेद यम: श्रीसुभरा, श्रीप्रिया, श्रीधन्या. एक एकड़ में रोपण के लिए 8-10 क्विंटल रतालू की आवश्यकता होती है. रतालू को 150-200 ग्राम के टुकड़ों में काट लें. 1.5 फीट व्यास और 1.5 फीट गहरे छेद 3X3 फीट के अंतर पर खोद लें.
अंतिम भूमि की तैयारी के दौरान 5 टन गोबर की खाद डालें. 32:24:32 किलो एनपीके/एकड़ की अनुशंसित उर्वरक खुराक का full P लागू करें.
बीज सामग्री को 5-10 सेमी बुवाई की गहराई पर लगाएं. क्यारियों को 5 सेमी ऊँचाई के स्ट्रॉ मल्च से ढक दें.
मिर्च (CHILLI)
मिर्च की फसल में घुन के संक्रमण की संभावना रहती है. गंभीर रूप से प्रभावित पौधों के प्रारंभिक लक्षण मिर्च की फसलों का अचानक नीचे की ओर मुड़ जाना और पत्तों का सिकुड़ना है. कुछ मामलों में पेटिओल लम्बी हो जाती है और बाद में वे बढ़ना बंद कर देती हैं और मर जाती हैं.
घुन के संक्रमण का प्रबंधन करने के लिए मिर्च स्प्रे प्रोपरगाइट 57% ईसी @ 600-मिली/एकड़ या स्पाइरोमेसिफेन 22.9% एससी @ 160-मिली/एकड़ या डायफेंथियूरॉन 50% डब्ल्यूपी @ 250-ग्राम प्रति एकड़ में छिड़काव करें.
बैंगन (BRINJAL)
उन्नत और संकर किस्म की बैंगन की खेती के लिए बीज दर क्रमश: 200 और 80 ग्राम प्रति एकड़ रखें. बुवाई से 10 दिन पहले नर्सरी बेड में गोबर की खाद (20-kg of completely decomposed) डालें. बोआई के बाद 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम को 1 लीटर पानी में मिलाकर मिट्टी को भिगो दें. नर्सरी क्यारी को धान के भूसे से ढक दें.
सुंदरगढ़ और देवघर (SUNDARGARH and DEOGARH) के किसानों को IMD ने क्या दी सलाह?
आने वाले पांच दिनों में बारिश के पूर्वानुमान के कारण कृपया फसलों को खेत में सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दें और फसलों की कटाई स्थगित कर दें.
किसान खरीफ फसलों की तैयारी कैसे करें ?
भूमि के प्रकार और उत्पादकता के अनुसार किस्म चुनें. उच्च भूमि में गैर-धान्य फसलों को चुने. वर्षा जल के संरक्षण के लिए तैयारी करें.गर्मी की खेती का पता लगाएं जो मिट्टी में पैदा होने वाले कीड़ों और कीटों को मारती है. अम्लीय मिट्टी का ध्यान रखने के लिए इसमें चूना और पेपर मिल के कीचड़ को लगाएं.
हमेशा गुणवत्ता वाले बीजों का प्रयोग करें और हर तीन साल में बीज को बदलें. लाइन बिजाई में फसल की बीज दर 20 किग्रा पर एकड़ होनी चाहिए.
उच्च भूमि में केवल धान के बजाय, फसल विविधीकरण के लिए उच्च मूल्य और कम शुल्क वाली दालें, तिलहन और सब्जियों की फसलों को भी लें. इसके लिए अरहर + धान (2:5), धान + मूंग (5:2), धान + रागी (5:3), धान + ब्लैकग्राम (5:2) ऊपरी भूमि में इंटरक्रॉपिंग करें.
धान की फसलों के साथ हरी खाद यानी धानीचा (Dhanicha) को @6 किग्रा प्रति एकड़ में बोएं. नीची भूमि में धानीचा की फसल 10 किग्रा प्रति एकड़ की दर से बोएं.
खरीफ की नर्सरी कैसे करें तैयार? (Kharif Nursery)
नाला, नदी, वील जैसे जल स्रोत के पास नर्सरी तैयार करें. खरीफ मौसम में सूखी नर्सरी को प्राथमिकता दी जाती है. एक एकड़ के लिए 10 decimal धान की रोपाई आवश्यक है. नर्सरी की अच्छी बेड तैयार करने के लिए 3 फीट चौड़ाई, 6 इंच ऊंचाई और आवश्यकतानुसार लंबाई के साथ बेड के बीच 1 फीट की दूरी के साथ सिंचाई चैनल तैयार करें.
बीज को कतार में बोयें और मिट्टी से ढक दें. इसके लिए एफवाईएम (FYM) की 40 टोकरियाँ, 12 किग्रा सुपर और 2 किग्रा एमओपी डालें. बोवाई से पहले बीजों के इलाज के लिए 3 ग्राम/किलोग्राम बीज की दर से विटावक्स शक्ति (Vitavax power) डालें.
फलों की खेती करने वालों को सलाह
ग्रीष्म वर्षा होने के कारण विभिन्न फलों के पौधों के लिए गड्ढे तैयार कर खोदें.
आम: इस मौसम के लिए लेंगड़ा, दशहरी, आम्रपाली की गुणवत्ता वाली पौध बहुत अच्छी होती है.
पौधों का चयन कैसे करें?
ग्राफ्टिंग की ऊंचाई मिट्टी के स्तर से 20-30 सेमी होनी चाहिए. ग्राफ्टेड रोपों में पर्याप्त पत्तियाँ और शाखाएँ होनी चाहिए.
सब्जियों की खेती करने वाले किसानों के लिए जरूरी सलाह
सब्ज़ियां (vegetables)
इन दिनों तापमान बढ़ने से बैगन और टमाटर की फसलों में मुरझाने की संभावना बनी रहती है. किसानों को इसके लिए 10 लीटर पानी में 1 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन (Streptocycline) का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है.
किसान जल्द से जल्द ग्रीष्म खीरा की बुवाई पूरी कर लें.
अदरक (Ginger)
अदरक की अच्छी किस्में सुरुचि, सुप्रवा और सुरवी हैं. इसके @ 6-8 क्विंटल बीज को प्रति एकड़ भूमि में लगाएं. बोआई से पहले पौधों को उपचारित करने के लिए Mancozeb, Carbendazim और Malathion को क्रमश @ 0.25%, 0.15% और 0.05% मिलाकर इसका छिड़काव करें. इससे अदरक की फसलों की उपज अच्छी होगी.
हल्दी (Turmeric)
रोमा, सुरोमा, रश्मि हल्दी की अच्छी किस्में हैं. इसकी बीज दर 8-10 क्विंटल प्रति एकड़ रखें.
मक्के की फसलों की उपयुक्त किस्में (Maize)
मक्का की संकर किस्मों की बुवाई 6 किग्रा/ प्रति एकड़ की दर से शुरू करें. इस मौसम के लिए इसकी उपयुक्त किस्में कारगिल 900M (Kargil 900M), कलिंग राज (Kalinga Raj), BISCO 2418 (BISCO 2418) हैं.
पशुपालकों के लिए जरूरी सलाह
दिन के तापमान में वृद्धि होने के कारण, विशेष रूप से गर्म समय में जानवरों को बाहर न छोड़ें. इसके साथ ही इस भीषण गर्मी में पशुओं को पीने का पर्याप्त पानी उपलब्ध कराएं.