Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 16 November, 2021 4:58 PM IST
Swadeshi soap

भारत को आर्थिक रूप से मजबूत और स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा देने हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास लगातार कर रहे हैं. लॉकडाउन के दौरान गिरती अर्थव्यवस्था को उठाने के लिए आपदा में अवसर खोजने को कहा था.

इस बात को मद्दे नजर रखते हुए मध्य प्रदेश के खंडवा की आदिवासी महिलाओं के हुनर को विदेशों में भी पहचान मिल रही है.

दरअसल, इस जिले की आदिवासी महिलाओं द्वारा बनाए गए साबुन का अमेरिका से ऑर्डर आ रहा है. आपको बता दें कि ये साबुन बकरी के दूध और अन्य जड़ी बूटियों से बनाई जाती है. खास बात ये है कि जिन महिलाओं द्वारा ये साबुन बनाई जा रही हैं, वो दिनभर खेतों में सोयाबीन काटती हैं और शाम में साबुन बनाती हैं.

महिला सशक्तीकरण और खुद को एक नई पहचान दिलाते हुए महिला इस और बढ़ती नजर आ रही है. समाज में महिलाओं को उनका सही स्थान और उनका हक़ दिलाने के लिए जरुरी है की वो खुद अपने हक़ के लिए समाज में खड़ी हो पाएं. महिलाओं को सशक्त बनाने के सरकारें भी उनका साथ देती आई हैं.

कैसे मिली महिलाओं को सफलता?

बता दें कि खंडवा जिले के पंधाना विधानसभा क्षेत्र के गांव उदयपुर में रहने वाली आदिवासी महिलाएं सफलता की नई इबारत लिख रही हैं. इनके द्वारा बनाई गई साबुन आज विदेशों में सप्लाई हो रही है. अमेरिका से भी साबुन का ऑर्डर आया है.

इन महिलाओं द्वारा बनाई गई इन साबुन की कीमत भी खास है और एक साबुन 250-350 रुपए की बिकती है. आयुर्वेदिक और पूरी तरह प्राकृतिक होने के चलते इस साबुन की खासी डिमांड है और इसमें लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है.

ऐसे हुई शुरुआत

भास्कर की एक खबर के अनुसार, पुणे के ली नामक युवक ने उदयपुर गांव में इस प्लांट की शुरुआत की थी. पहले महिलाओं को साबुन बनाने की ट्रेनिंग दी गई. शुरुआत में इनके कुछ प्रोडक्ट असफल भी रहे. हालांकि आखिरकार इनकी बनाई साबुन सफल रही और आज इसकी डिमांड लगातार बढ़ रही है. देश के कई बड़े शहरों में भी इन साबुनों की मांग है.

 ये भी पढ़ें: गोबर से कर दिया दीयों का निर्माण, बंपर कमाई के साथ मार्केट में धूम

कई प्रकार की साबुन मौजूद

ये खास साबुन कई प्रकार में भी मौजूद हैं. जिनमें सुगंधित तेल और दार्जलिंग की चायपत्ती, आम, तरबूज आदि चीजें मिलाकर तैयार किया जाता है. इन साबुन की पैकिंग में पर्यावरण का भी पूरा ख्याल रखा जाता है और इन साबुनों को जूट के पैकिट में पैक किया जाता है.

सीएम शिवराज ने ट्वीट कर दी बधाई

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी ट्वीट कर साबुन बनाने वाली आदिवासी महिलाओं की तारीफ की. उन्होंने ट्वीट में लिखा कि "खंडवा के पंधाना विधानसभा के उदयपुर गांव की बहनों ने अनूठा आयुर्वेदिक साबुन बनाकर अपनी सफलता की गूंज अमेरिका तक पहुंचा दिया. प्रदेश को आप पर गर्व है!

बहन श्रीमति रेखाबाई जी, श्रीमति ताराबाई जी, श्रीमति कालीबाई जी को इस सफलता के लिए हार्दिक बधाई!"

English Summary: Demand for Indian soaps increased abroad, tribal women showed their talent
Published on: 16 November 2021, 05:14 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now