Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 21 September, 2022 5:43 PM IST
कीट निंयत्रण ट्रेनिंग प्रोग्राम में लीची किसान

उन्नति लीची कार्यक्रम का संचालन देहात और कोका कोला इंडिया फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है. डॉ दिनेश चौहान, उपाध्यक्ष, नई पहल देहात, कृषि क्षेत्र में एक प्रसिद्ध व्यक्तित्व ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया. राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ एस डी पांडेय इस विषय पर विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित थे और किसानों के कई प्रश्नों का समाधान किया गया.

डॉ. दिनेश चौहान ने उन्नति लीची परियोजना पहल पर चर्चा की, जिसमें कृषि मूल्य श्रृंखला की प्रभावशीलता बढ़ाने, उच्च घनत्व वाले वृक्षारोपण पर किसानों की क्षमता बढ़ाने, किसानों को अच्छी कृषि प्रथाओं में सिखाने, और उन्होंने सामूहिक खेती के लाभों और ग्रामीण समुदायों के विकास में एफपीओ के कार्य पर भी जोर दिया.

सितंबर और अक्टूबर का महीना लीची के पौधे की देखभाल के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि सितंबर-अक्टूबर के दौरान कीड़े नए उभरे हुए अंकुर को नुकसान पहुंचाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप शूट की वृद्धि में रुकावट होती है, विशेष रूप से नए स्थापित बाग में तना बेधक तेजी से लीची को प्रभावित कर रहा है और इससे किसानों को काफी नुकसान हो रहा है.

ये भी पढ़ें: गेहूं की HI-8663 किस्म देगी 90 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार, जानें क्या है इसकी खासियत

डॉ एस डी पांडे ने कीटों के द्वारा उत्पन्न खतरे पर जोर दिया. फूलों के शुरू होने से पहले बागवानों को इसकी देखभाल के लिए तैयार रहना चाहिए. प्राथमिक लीची उगाने वाले क्षेत्रों (बिहार और पड़ोसी राज्यों) से शुरू करना आवश्यक है. किसानों को नुकसान के संकेतों और लक्षणों के साथ-साथ बागवानों के लाभ के लिए अनुशंसित प्रबंधन रणनीतियों का संक्षिप्त विवरण दिया गया.

इस परियोजना से बिहार के तीन जिलों मुजफ्फरपुर, वैशाली,समस्तीपुर और पूर्वी चंपारण के किसानों को बहुत लाभ हुआ है. लीची किसानों में से एक श्री बिपिन यादव ने कहा कि इस परियोजना ने न केवल उनकी उर्वरक आवश्यकता को कम किया है बल्कि उनकी उपज और आय में भी सुधार किया है.

अब तक, इस कार्यक्रम से 10 हजार से अधिक किसान लाभान्वित हो चुके हैं. देहात  ने किसान ऐप, वेबिनार, एसएमएस के आधार पर बोर्डकास्टिंग, इंटरनेट और ऑनलाइन प्रशिक्षण सहित ज्ञान के प्रसार के लिए विभिन्न उपकरणों का उपयोग किया है.

देहात  के लिए नई पहल के सहायक प्रबंधक अंकित कुमार ने धन्यवाद प्रस्ताव के साथ बैठक का समापन किया जिसमें प्रगतिशील किसानों, एफपीओ और एनआरसीएल और देहात  के प्रतिनिधियों, अर्थात् दीपक कुमार और विकास दास ने भी भाग लिया.

English Summary: Dehaat organised pest management session with Coca Cola for litchi farmers
Published on: 21 September 2022, 05:52 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now