हाल ही में भारत के पश्चिमी छोर से टिड्डियों के कुछ झुंड ने भारत के राजस्थान और गुजरात राज्य के क्षेत्रों में प्रवेश किया जिसके चलते वहां की गेहूं,आलू, सरसों, जीरा,सौंफ, जेट्रोफा और कपास जैसी फसलें पूरी तरह से खत्म होने के संकट में आ चुकी हैं. इन टिड्डियों के प्रकोप में गुजरात के मेहसाणा, कच्छ,पाटन, साबरकांठा, बनासकांठा तथा राजस्थान में बाड़मेर, जोधपुर, श्रीगंगानगर, जालौर,हनुमानगढ़ और चिरू जिले आते हैं.
इन राज्यों की सरकार इस संकट में किसानों के सहयोग के लिए आगे आई हैं और साथ ही साथ यूपीएल ने भी प्रभावी तरीके से इसे कंट्रोल करने के लिए अपनी आदर्श फार्म सर्विसेस की अत्याधुनिक फॉल्कन मशीन को भी इन पर काबू करने के लिए क्लोरिपेरिफॉस तथा डीडीवीपी और उसके मिश्रण वाले अन्य कीटनाशकों का छिड़काव किया. इसके चलते इन टिड्डियों को कम समय मे नष्ट किया गया. इससे समय रहते किसानों की न केवल खड़ी फसल सुरक्षित रही बल्कि उन्हें आर्थिक नुकसान होने से भी बचाया गया. किसानों द्वारा डीडीवीपी को ज्यादा प्राथमिकता देने के पीछे कारण यह है कि इसमें पूरी तरह से टिड्डियों को खत्म करने की क्षमता है, जो कि अन्य कीटनाशकों में नहीं है.
यूपीएल ने कृषि विभाग के सहयोग से टिड्डियों पर 2 तरीके से कंट्रोल किए. पहला जब ये टिड्डियाँ फसलों पर बैठती थी और दूसरा उनके आराम करने के स्थान जैसे पेड़ों के ऊपर, बंजर जमीन इत्यादि स्थानों पर स्प्रे करके, दोनों ही प्रयास सफल हुए.
इस तरह की आपदाओं में डीडीवीपी और इसके मिश्रण ने यह साबित किया है कि यह एक प्रभावी कीटनाशक है जिसने किसानों को न केवल भारी आर्थिक नुकसान से बचाया है बल्कि देश के हजारों टन अनाज को भी इन टिड्डियों से बचाया है. यदि समय पर डीडीवीपी का इस्तेमाल करके इनपर पर काबू नहीं पाया गया होता तो यह अन्य क्षेत्रों में भी तबाही मचा रही होती.
DDVP कई वर्षों के रिसर्च के बाद डेवलप किया गया कीटनाशक है जिसका भारत के किसान कई वर्षों से सफलतापूर्वक इस्तेमाल करते आ रहे हैं. इसके सफलता के पीछे DDVP का अनोखा नॉक-डाउन (घातक) हमले करने का तरीका है जिससे टिड्डियां एक बार के ही छिड़काव में ख़त्म हो जाते हैं.कई कीटों पर असर होता है.
आदर्श फार्म सर्विसेज के प्रोजेक्ट लीडर, तुषार त्रिवेदी ने बताया कि यूपीएल हमेशा से किसानों के हित के लिए तैयार रहता है इस टिड्डी अटैक के समय भी यूपीएल की 25 एक्सपर्ट्स की टीम जिला कलेक्टर कार्यालय, कृषि विभाग, केंद्रीय टिड्डी नियंत्रण टीम, हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट और किसानों के साथ मिलकर दिन रात गुजरात और राजस्थान के टिड्डी प्रभावित इलाकों में अपनी 25 अत्याधुनिक कीटनाशक स्प्रे करने वाली फाल्कन मशीनों के साथ लगी रही जिसके कारण समय रहते टिड्डियों द्वारा किसानों की फसलों को सुरक्षित रखा जा सका. हमारी टीम ने गुजरात और राजस्थान के 35 से भी ज्यादा टिड्डी प्रभावित गांव में स्प्रे किया. टिड्डियीं पर प्रभावी नियंत्रण करके लिए हमारी टीमें खड़ी फसलें, बंजर इलाके और पेड़ों के ऊपर कीटनाशकों का स्प्रे किया जहां पर आम स्प्रे मशीनों से पहुंचा नहीं जा सकता था.
हालांकि 16 जुलाई 2018 के सरकारी आदेश के अनुसार डीडीवीपी का आयात औऱ उत्पादन जनवरी 2019 से प्रतिबंधित है और 31 दिसंबर 2020 तक डीडीवीपी को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने का भी आदेश है. भारत का खाद्य उत्पादन देश में ही उपजाया और खाया जाता है इसलिए इसके लिए DDVP जैसे प्रभावी कीटनाशक खासकर जिनका उत्पादन कई सालों के रिसर्च और दशकों के अनुभवों के बाद किया गया है को प्रतिबंधित करने से पहले विशेषज्ञ और सरकारी विभागों के अनुसार जब तक कोई और प्रतिबंधक उपाय न कर लिए जाएं तब तक डीडीवीपी पर प्रतिबंध लगाना घातक हो सकता है. आज भी जापान, यूएस और कनाडा जैसे देशों में डीडीवीपी का इस्तेमाल जारी है. देश मे हुए वर्तमान प्रवासी टिड्डियों के हमले में DDVP का महत्व देखने को मिला है. वर्तमान में देश और दुनिया के कृषि और किसानों के सामने फॉल आर्मी वर्म जैसे विनाशकारी कीड़ों का बहुत ही भयावह असर देखने को मिला है जो कुछ ही घण्टों में सेना की तरह पूरी खड़ी फसल को बर्बाद कर देते हैं.
25 एपीडी निवासी सुभाष लेघा के अनुसार जहां भी डीडीवीपी के द्वारा स्प्रे किया गया वहां पर टिड्डियां खत्म हो गई और साथ ही उन स्थानों पर दोबारा नहीं बैठी. इस स्प्रे के कारण एक बार में ही टिड्डियों से राहत मिल गई. DDVP का एक और फ़ायदा यह रहा कि इसका किसी अन्य वनस्पति पर कोई दुष्परिणाम नहीं हुआ. किसानों द्वारा किए जा रहे हैं छिड़काव में ज्यादा समय लगता था और साथ ही पेड़ों पर या झाड़ियों पर ज्यादा ऊपर तक दवाइयां नहीं पहुंच पाते थे जबकि यूपीएल की फाल्कन मशीनों द्वारा ऊंचाई तक जहां भी टिड्डियाँ बैठती हैं वहां पर दवाइयां पहुंच पाई जिसके चलते टिड्डियों पर पूरी तरह से काबू पाया जा सका.
24 APD अनूपगढ़ के निवासी अनिल ने बताया कि यूपीएल की टीम द्वारा किए गए दवाइयों के छिड़काव में 95 फीसद से भी ज्यादा टिड्डियों का सफाया हो गया है जिसके चलते इनकी फसलें सुरक्षित हैं अन्यथा जिन फसलों पर टिड्डियां बैठ गई वह पूरी तरह से समाप्त हो गई.
23 APD गांव के किसानों के अनुसार डीडीवीपी के छिड़काव के ही कारण सारी की सारी टिड्डियाँ मारी गई यहां के किसानों ने क्लोरिपयरिफोस का भी इस्तेमाल किया लेकिन उससे टिड्डियां सिर्फ बेहोश होती थी जबकि डीडीवीपी के इस्तेमाल से टिड्डियाँ पूरी तरह से खत्म हो गई किसानों ने अपनी पीठ पर रखी जाने वाली स्प्रे मशीनों से भी छिड़काव किया लेकिन उसकी पहुंच काफी नीचे तक की होती है इसलिए उनका प्रभावी रिजल्ट नहीं दिखा. जबकि यूपीएल की फाल्कन मशीन से किए गए स्प्रे में पेड़ पर उचाई पर बैठी हुई टिड्डियां भी मारी गई. किसानों ने यह भी कहा अगर समय पर यूपीएल की मशीनों से स्प्रे नहीं किया गया होता तो इनके सरसों, गेहूं और चने की फसल पूरी तरह से टिड्डियाँ तबाह कर देती इसलिए यह यूपीएल और कृषि विभाग के आभारी हैं.
जसवंत सिंह बराड़ कृषि अधिकारी गंगानगर ने बताया कि तीन-चार दिनों से अनूपगढ़ के क्षेत्र में टिड्डियों का काफी प्रकोप था. इसे काबू में करने के लिए कृषि विभाग के साथ-साथ आसपास के किसानों और यूपीएल की टीम ने काफी बढियां योगदान दिया जिसके चलते इन टिड्डियों पर समय रहते काबू पा लिया गया. यूपीएल की टीम ने अपने स्तर पर अपनी मशीनों से दवाई का छिड़काव करके काफी बड़ा सहयोग दिया.