Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 15 September, 2020 5:24 PM IST

जो लोग ईमानदारी से कड़ी मेहनत  करते हैं, उन्हें देर से ही सही, लेकिन सफलता जरूर मिलती है. यह कहावत बिहार के गया जिले के एक शख्स ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से सच साबित की है. अगर खुद में हिम्मत है, तो किसी भी तरह का काम करना मुश्किल नहीं होता है. हाल ही में गया के लहटुआ इलाके के कोठीलवा गांव निवासी लौंगी भुइयां ने एक मिसाल कयाम की है.

दरअसल, लौंगी भुइयां ने अपनी पिछले 30 सालों की मेहनत के बाद 3 किलोमीटर लंबी नहर बनाई है. सिर्फ इसलिए कि बारिश का पानी पहाड़ी से गांव के खेतों में आसानी से पहुंच सके. इससे गांव के लोगों को बहुत लाभ मिलेगा. लौंगी भुइयां के मुताबिक, उन्होंने अकेले ही नहर खोदने का काम शुरू किया था. इस नहर को खोदने में उन्हें 30 साल लग गए. इस दौरान वह अपने मवेशियों को जंगल ले जाते और नहर खोदने का काम करते थे. इस प्रयास में किसी ने उनका साथ नहीं दिया. गांव के लोगों को रोजगार के लिए शहर जाना पड़ रहा है, लेकिन उन्होंने गांव में ही रहने का फैसला किया.

आपको बता दें कि कोठिलवा गांव गया के जिला मुख्यालय से करीब 80 किमी दूर स्थिति है. यह घने जंगल और पहाड़ों से घिरा हुआ है. मतलब साफ है कि गांव के लोगों के पास अजीविका का मुख्य साधन खेती और पशुपालन ही है. बताया जाता है कि यह गांव माओवादियों की शरणस्थली के रूप में चिह्नित है. बारिश के मौसम में पहाड़ों से गिरने वाला पानी नदी में बह जाता था. यही बात लौंगी भुइयां को बहुत परेशान करती थी. वह सोचते थे कि अगर बारिश का यह पानी अगर किसानों के खेतों में आ जाए, तो गांव वालों की कितनी मदद हो पाएगी. उन्होंने इस बात को ध्यान में रखकर नहर खोदना शुरू कर दिया और आखिरकार उन्हें 30 सालों की कड़ी मेहनत के बाद सफलता भी मिल गई.

अब गांव के लोगों का कहना है कि लौंगी भुईयां पिछले 30 सालों से अकेले नहर बनाने का काम कर रहे हैं. उनके इस प्रयास से बड़ी संख्या में जानवारों को पानी मिल पाए, साथ ही खेतों की सिंचाई आसानी से हो पाएगी.

ये ख़बर भी पढ़े: बीज उत्पादन से होगी किसानों को अच्छी आमदनी, ये राज्य सरकार दे रही अभियान से जुड़ने का सुनहरा मौका

English Summary: Dasharatha Manjhi, the second from Bihar, worked 30 years of hard work to create a 3 km long canal for irrigation
Published on: 15 September 2020, 05:28 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now