रूस यूक्रेन संकट ने समूची दुनिया के सामने एक बड़ी चुनौती उपस्थित की है और इसी वजह से अमेरिका सहित कई बड़े पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंधों की बौछार कर दी है. इन प्रतिबंधों ने रूस के लिए अनेक मुश्किलें खड़ी कर दी है.
उसकी अर्थव्यवस्था के लिए नई चुनौतियां भी प्रस्तुत हुई. इन सभी प्रतिबंधों के बीच रूस के लिए राहत की बात यह है कि वह भारत का सबसे बड़ा डीएपी खाद (DAP Khad) की आपूर्ति करने वाला बन गया है.
पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों की नहीं की गई परवाह
पश्चिमी देशों को दरकिनार करते हुए भारत ने रूस से अप्रैल से जुलाई के बीच साढ़े तीन लाख टन अमोनियम फास्फेट खाद आयात करने का समझौता किया है. यह करार जहां रूसी अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी राहत है वहीं भारत को भी अत्यधिक कम दरों पर डीएपी खाद की प्राप्ति से फायदा ही हुआ है.
किन कंपनियों को मिला है ऑर्डर
इस आयात का ऑर्डर इंडियन पोटाश लिमिटेड,राष्ट्रीय केमिकल फर्टिलाइजर्स, कृषक भारती कोऑपरेटिव और चंबल फर्टिलाइजर्स को प्राप्त हुआ है.
किन कीमतों पर प्राप्त हुआ है ऑर्डर
सूत्रों के अनुसार ऊपर वर्णित कंपनियों को यह ऑर्डर 920 - 925 डॉलर प्रति टन की कीमत पर प्राप्त हुआ है. इस राशि में माल पहुंचाने का भाड़ा भी शामिल माना जा रहा है. यह ध्यातव्य है कि किसी भी अन्य देश को इतनी कम कीमत पर डीएपी खाद प्राप्त नहीं हुई है.
अन्य देशों को देनी पड़ी है ज्यादा कीमत
बांग्लादेश ने करीब 8 लाख टन खाद के लिए 1020 - 1030 डॉलर प्रति टन कीमत का वार्षिक टेंडर दिया है, वहीं थाईलैंड और इंडोनेशिया ने क्रमशः है 992 - 1000 डॉलर प्रति टन पर यह करार किया है. पाकिस्तान की बात करें तो वह 1030 डॉलर प्रति टन पर भी डील को अंतिम रूप देने में सफल नहीं हो सका है. इसका एक अन्य कारण पाकिस्तानी रुपए के मूल्य में डॉलर के मुकाबले आई बड़ी गिरावट को भी माना जा रहा है.
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अनुमानों के अनुसार देश में अप्रैल से जुलाई के बीच 9.5 से 9.6 टन डीएपी खाद का आयात किए जाने की बात है. इनमें सबसे ज्यादा खाद का आयात रूस से किया जा रहा है जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में डीएपी खाद का सर्वाधिक आयात चीन से हुआ था.
विद्वानों का मानना है कि भारत द्वारा आपूर्ति स्रोतों को विस्तार देना एक समझदारी वाला कदम है. इससे भारत किसी भी एक राष्ट्र विशेष के साथ बंधने के बजाय अपने करारों के लिए स्वतंत्र नीति अपना सकेगा.