भारतीय व्यंजन (Indian food) में शायद ही कोई सब्जी है जो जीरे के बिना बनाई जाती है. घरों में जब भी कोई सब्जी बनाई जाती है, तो उसमें सबसे पहले जीरे का ही तड़का दिया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि, बाजार में जीरे के दाम आए दिन बढ़ते व घटते रहते हैं. तो आइए आज हम इसके पीछे की वजह के बारे में विस्तार से जानते हैं...
आपको बता दें कि, इस बार जीरे की पैदावार कम होने के साथ इसकी कीमत को पहले ही लगभग 70 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है. बाजार के लोगों को कहना है कि, आने वाले कुछ महीनों में जीरा लगभग 20 से 25 प्रतिशत तक महंगा हो सकता है.
गुजरात के ऊंझा में स्थित देश की सबसे बड़ी जीरा मंडी में कृषि जागरण की टीम ने खुद जाकर मंडी का दौरा किया, तो पता चला कि वर्तमान समय में जीरे की हाजिर कीमत 195 से 225 रुपए प्रति किलो के रेंज में है. देखा जाए तो पिछले साल यह कीमत 140 से 160 रूपये के आस-पास रही थी. इसके अलावा जीरे की सफाई ग्रेडिंग और पैकेजिंग के बाद बाजार में जीरा करीब 275 से 300 रुपए प्रति किलो के दाम पर बेचा जाता है.
मंडी में इस साल जीरे की आवक घटी
ऊंझा एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (APMC) के चेयरमैन दिनेश पटेल का कहना है कि, मंडी में इस साल जीरे की आवक घटी है. देखा जाए तो हर साल औसतन 80-90 लाख बोरी मंडी में लाई जाती है. लेकिन इस बार यह आंकड़ा 50-55 लाख बोरी तक रहने की संभावना जताई जा रही है. जिसके चलते जीरे के दाम अभी और भी बढ़ाए जा सकते हैं. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा है कि, पिछले 3-4 सालों में जीरे की कीमत करीब 130 से 140 रुपए प्रति किलो थी. जिसके कारण किसान अभी जीरे की खेती (cumin cultivation) के बजाय सरसों व अन्य दूसरी फसलों की खेती कर रहे हैं. मौसम के बदलाव के कारण भी जीरे की पैदावार में 25 फीसदी तक कम हुई है.
ऊंझा मंडी में 40 प्रतिशत जीरा गुजरात से आता है
जीरे के हाजिर कीमतों को लेकर उंझा APMC के वाइस चेयरमैन अरविंद पटेल का कहना है कि, अगर आने वाले समय में मानसून सीजन कमजोर रहता है, तो इस साल की दूसरी छमाही में जीरे की कीमत करीब 300 रुपए प्रति किलो तक पहुंच सकती है. मिली जानकारी के मुताबिक, ऊंझा मंडी में करीब 60 प्रतिशत जीरा राजस्थान और बाकी शेष 40 प्रतिशत गुजरात से ही आता है.
जीरे की खेती को लेकर दिनेश पटेल ने बताया कि इसकी खेती में मौसम (farming season) का सबसे बड़ा हाथ होता है. मौसम में बदलाव इसकी पैदावार पर बहुत असर करता है. इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि मंडी में पिछले कुछ सालों से जीरे की कीमत 150 रुपए तक बनी हुई थी.
जिसके चलते वह दूसरी खेती करने का फैसला कर लेते हैं. इसके अलावा उन्होंने इस बात को भी बताया कि मार्च के महीने में बारिश के कारण जीरे की पैदावार पर असर देखने को मिलता है. जीरे की उपज कम होने से बाजार में इसकी मांग अधिक बढ़ी है.