कोरोना महामारी, लॉकडाउन के बाद, मानसूनी बारिश किसानों के लिए मुसीबत बन गई है. मौसम के बिगड़े हुए मिजाज ने किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच दी है. देश के किसानों को अपनी मेहनत की फसल को बचने की चिंता सताने लगी है.
दरअसल राजस्थान के हाड़ौती और भरतपुर जिले में हुई लगातार भारी बारिश के चलते किसानों की खेत में खड़ी फसल को काफी नुकसान पहुंचा है. वहीं कई किसानों की फसलें कटने के बाद खेत में ही रखी थीं जो अचानक आई बारिश से खराब हो गई हैं, इससे किसानों को काफी आर्थिक हानि हुई है.
सर्वे कराने के दिए निर्देश (Instructions for conducting the survey)
राजस्थान में हुई लगातार बारिश से फसलों को काफी नुकसान हुआ है. इसे देखते हुआ राजस्थान के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने बाढ़ प्रभावित जिलों के कलेक्टर्स को निर्देश दिया है कि वे तत्काल बर्बाद हुई फसलों का सर्वे कराएं और उसकी रिपोर्ट सरकार को भेजें. ताकि किसानों को जल्द से जल्द राहत पहुंचाई जा सके.
किसान को मुआवजा दिलाने की मांग (Demand for compensation to the farmer)
वहीं पूर्व मंत्री प्रताप सिंह सिंघवी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और विधानसभा क्षेत्र छबड़ा सहित बारां जिले में पत्र लिखकर बाढ़ से तबाह हुई फसलों का मुआवजा दिलाने के लिए कहा है.
गौरतलब है कि किसान नेता बोरदा ने कृषि विभाग को आगाह किया है कि कृषि विभाग फसल बीमा कंपनियों को शुरूआती फसल खराबें का आंकलन कम बताकर बचाने का प्रयास न करें। इसके अलावा, उन्होने कहा है कि कृषि विभाग बीमा कंपनियों का गुलाम ना बने.
दरअसल बोरदा ने कहा 5 से 6 लाख हेक्टेयर में खरीफ सीजन की फसलें तबाह और बर्बाद हो चुकी हैं। वहीं सबसे ज्यादा खराब सोयाबीन और उडद कि फसल हुई है.
बुवाई गई मुख्य फसलों का रकबा
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सोयाबीन-6,21,553 हैक्टेयर
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उडद-1,67,971 हैक्टेयर
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मक्का-89810 हैक्टेयर
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तिल-4641 हैक्टेयर
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धान-78 हजार हेक्टेयर
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बाकी अन्य फसलें
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