सोमानी क्रॉस X-35 मूली की खेती से विक्की कुमार को मिली नई पहचान, कम समय और लागत में कर रहें है मोटी कमाई! MFOI 2024: ग्लोबल स्टार फार्मर स्पीकर के रूप में शामिल होगें सऊदी अरब के किसान यूसुफ अल मुतलक, ट्रफल्स की खेती से जुड़ा अनुभव करेंगे साझा! Kinnow Farming: किन्नू की खेती ने स्टिनू जैन को बनाया मालामाल, जानें कैसे कमा रहे हैं भारी मुनाफा! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 11 July, 2019 9:22 PM IST
Maize Disease

कृषि विज्ञान केन्द्र, बैतूल के वैज्ञानिकों ने जानकारी दी है कि आगामी खरीफ मौसम में मक्का फसल में एक नया कीट फॉल आर्मी वर्म जो कि बहुभझी एवं तम्बाकू की इल्ली के परिवार का है, रबी मौसम में इस कीट का प्रकोप पूरे दक्षिण भारत एवं बैतूल से लगे हुए जिलों जिनमें रबी मौसम में मक्के की खेती होती है वहां पर भी देखा गया है.

इस कीट का जीवन चक्र एवं इसकी नमी एवं तापमान की आवश्यकताओं को देखते हुए खरीफ मौसम में इसका गंभीर प्रकोप संभावित है. इस कीट का सर्वाधिक प्रभाव मक्के की फसल पर होता है. चूंकि मक्का हमारे जिले की प्रमुख खरीफ फसल है एवं इसका क्षेत्रफल और बढ़ने की संभावना है.

अतः इस कीट का प्रभावी प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है. कीट की गंभीर अवस्था में सामान्य रूप से प्रचलित कीटनाशक इसके ऊपर ज्यादा प्रभावी नहीं है. अतः समन्वित प्रयासों के तहत निम्नलिखित कार्य इस कीट के नियंत्रण में सहायक होंगे-

1. बोनी के पूर्व बीज को इमीडाक्लोप्रिड पावडर 2 ग्राम/किलो की दर से उपचारित करें. तत्पश्चात् बुआई करें, मानसून पूर्व शुष्क बोनी ज्यादा प्रभावी है. शुष्क बोनी नहीं करने पर मानसून वर्षा के साथ ही बुआई करें, विलंब न करें. देर से बोई गई फसल में इस कीट का प्रकोप ज्यादा गंभीर होता है.

2. अनुशंसित पौध अंतरण पर बुआई करें.

3. संतुलित उर्वरकों का अनुशंसित मात्रा में, विशेषकर नत्रजन की मात्रा का प्रयोग अधिक न करें.

4. जिन क्षेत्रों में खरीफ की मक्का ली जाती है उन क्षेत्रों में ग्रीष्मकालीन मक्का ना लें तथा अनुशंसित फसल चक्र अपनाएं.

5. अंतवर्ती फसल के रूप में दलहनी फसल मूंग, उड़द लगाएं.

6. प्रारंभिक अवस्था में लकड़ी का बुरादा, राख एवं बारीक रेत पौधे की पोंगली में डालें.

7. जैविक कीटनाशक के रूप में बी.टी. 1कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर अथवा बिवेरिया बेसियाना 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर का छिड़काव सुबह अथवा शाम के समय करें.

8. लगभग 5 प्रतिशत प्रकोप होने पर रासायनिक कीटनाशक के रूप में फ्लूबेन्डामाइट 20, डब्ल्यू.डी.जी. 250 ग्राम प्रति हेक्टेयर या स्पाइनोसेड 45 ईसी, 200-250 ग्राम प्रति हेक्टेयर या इथीफेनप्राॅक्स 10 ईसी 1 लीटर प्रति हेक्टेयर या एमिमामेक्टिन बेंजोएट 5 एस.जी . का 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर में कीट प्रकोप की स्थिति अनुसार 15-20 दिन के अंतरालन पर 2-3 बार छिड़काव करें.

प्रथम छिड़काव बुआई के बाद 15 दिन की अवधि में अवश्य करें.

9. दानेदार कीटनाशकों का उपयोग पौधे की पोंगली में (5 से 7 दाने प्रति पोंगली) करें.

English Summary: Crop failure in maize crop is a challenge of Army worm
Published on: 11 July 2019, 09:25 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now