महामारी के बाद दुनिया के सामने ब्लैक फंगस नामक एक और बीमारी खतरा बना कर सामने आई थी, जिसे काला कवक (Black Fungus) कहते है. इस बीमारी ने दुनिया के करोड़ों लोगों को मौत के मुहं में धकेल दिया एवं कई लोगों को अपंग बना दिया था. आज तक इस बात को कोई नहीं समझ पाया कि आखिर इस काले कवक बीमारी के पीछे की वजह क्या था.
वहीँ विभिन्न चिकित्सक, शोधकर्ताओं ने इस बात के तह तक पहुँच कर पूरा पता लगाया, जिसमें उन्होंने यह पाया कि, गाय के गोबर से पैदा होने वाला ईधन ही इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण है.
जी हाँ शोधकर्ताओं का कहना है की जब भारत में कोरोना महामारी फैली थी तब इसकी रोकथाम के लिए राजनीतिक और धार्मिक बयानबाजी ने कई भारतीयों को गाय के गोबर और मूत्र का उदारतापूर्वक उपयोग करने के लिए प्रेरित किया था. जिसमें सुलगते हुए गोबर के उपलों के साथ सामूहिक धूमन शामिल था.
वहीं शोधकर्ता का कहना है, हमने अपनी शोध में पाया कि भारत के जिस राज्यों में गायों को मारने पर कोई प्रतिबंध नहीं है और गोमांस खाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है एवं जहां गाय के गोबर को ईंधन के रूप में लगभग कभी इस्तेमाल नहीं किया जाता है. वहां म्यूकोर्मिकोसिस की घटनाएं कम पाई गयी हैं."
शोधकर्ताओं का कहना है की म्यूकोरालेस, यानि की काले कवक का संक्रमण गाय के गोबर से फैला है. यह संक्रमण मुख्य तौर पर शाकाहारी पशुओं के मलमूत्र से उत्पन्न होता है और भारत में गौजातीय मवेशियों की दुनिया की सबसे बड़ी आबादी मानी जाती है. पूरी दुनिया में गौजातीय मवेशियों की सूची में भारत की 30 करोड़ में गिनती आती है.
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गाय के गोबर का प्रयोग (Use Of Cow Dung)
भारत में गाय को हिन्दू प्रथाओं में पवित्र जानवर माना जाता है. इसलिए इसके गोबर का इस्तेमाल भी सभी आम अनुष्ठानों में शवों पर गोबर लगाना, गोमूत्र पीना, त्योहारों, प्रार्थनाओं या दाह संस्कार के दौरान अनुष्ठान शुद्धिकरण के रूप में गोबर के धुएं को जलाना और वातावरण को शुद्ध करने के लिए किया जाता है.
दुनिया में काले कवक के कितने मामले थे (How Many Cases Of Black Fungus Were There In The World)
काले कवक जिसे Mucormycosis के नाम से जाना जाता है. यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, Mucormycosis, Mucorales कवक के कारण होने वाला एक खतरनाक संक्रमण है.
जिसकी कुल मृत्यु दर 54% है. साल 2021 मई में, म्यूकोर्मिकोसिस को भारत में एक महामारी घोषित किया गया था- कोविड -19 की विनाशकारी दूसरी लहर के दौरान देश में दुनिया भर में सभी म्यूकोरालेस संक्रमण मामलों का 71% हिस्सा था. भारत देश में पिछले साल नवंबर तक म्यूकोर्मिकोसिस के 51,775 मामले दर्ज किए गए थे.