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Updated on: 21 October, 2022 5:58 PM IST
गुजरात और महाराष्ट्र में कपास फसल के क्षेत्र में इस वर्ष 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और मानसून सक्रिय होने के कारण प्रति हेक्टेयर पैदावार भी इस साल बढ़ने की संभावना है, फोटो-सोशल मीडिया.

कपास व्यापार संघ और कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CAI) का मानना है कि देश में रूई की खपत बढ़ने और पैदावार घटने के साथ इस वर्ष रूई के निर्यात में कमी दर्ज की जाएगी. सीएआई ने कहा कि हाल की बारिश के कारण भारत के कपास उत्पादन पर प्रभाव पड़ा है, बारिश से फसल की वृद्धि बाधित हो सकती है। भले ही उत्पादन कम हो, यह वैश्विक कीमत का समर्थन नहीं कर सकता क्योंकि मंदी और वैश्विक मांग इतनी अच्छी नहीं है। सीएआई ने घरेलू खपत का अनुमान 318 लाख गांठ से बढ़ाकर 320 लाख गांठ कर दिया है। हालांकि, कपड़ा बाजार में सुस्त मांग और धीमी निर्यात गति सकारात्मकता को नहीं दर्शाती हैं।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CIA) के अध्यक्ष अतुल गनात्रा का कपास उत्पादन कि गुजरात और महाराष्ट्र में कपास फसल के क्षेत्र में इस वर्ष 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और मानसून सक्रिय होने के कारण प्रति हेक्टेयर पैदावार भी इस साल बढ़ने की संभावना है. गुजरात में इस वर्ष 91 लाख कपास की गांठ और महाराष्ट्र में 84 लाख गांठ तैयार हो सकती हैं. वहीं, मध्य प्रदेश में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 20 लाख गांठ बढ़कर 195 लाख गांठ रूई का उत्पादन होने का अनुमान है. वहीं उत्तर भारत के पंजाब सहित अन्य प्रदेशों में रूई का उत्पादन 50 लाख गांठ के आसपास ही रहेगा. इसके अलावा, वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी के संकेत कपड़ा उद्योग की भावनाओं को कमजोर कर रहे हैं।

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कम स्टॉक और ऊंची कीमतों से देश में कपास की खपत नए सत्र 2022-23 में बढ़कर 320 लाख गांठ हो सकती है, जो एक साल पहले 310 लाख गांठ थी। नए सत्र में निर्यात घटकर 35 लाख गांठ रह सकता है, जो एक साल पहले 43 लाख गांठ था। अंतरराष्ट्रीय कॉटन संघ और अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) ने रुई उत्पादन पर चिंता जताते हुए कहा है कि इस वर्ष वैश्विक कपास की खपत और उत्पादन पिछले वर्षों की तुलना में सबसे नीचले स्तर पर रहेगा.

English Summary: Cotton Crop 2022-23: CAI estimates 344 lakh bales of cotton crop to be ready this year
Published on: 21 October 2022, 06:25 PM IST

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