इस साल खरीफ फसलों की कीमत को लेकर किसानों के मन में लगातार भ्रम की स्थिति बनी हुई है. पहले किसानों का मानना था कि सोयाबीन की कीमतो में वृद्धि होगी, परंतु कीमतों में तेजी के बावजूद भी बाजार में सोयाबीन की आमद नहीं बढ़ी.
चिंता की बात तो ये है कि जिस तरह से फसलों और खाद्य सामानों की बढ़ती मांग के साथ दामों में वृद्धि हो रही है, उसका मुनाफा किसानों को नहीं मिल पा रहा है.वर्त्तमान स्थति पर अगर नजर डालें, तो किसानों के साथ कुछ ऐसा ही होता आ रहा है. महंगाई जिस तरह से बढ़ती जा रही है किसानों की आय उसी प्रकार घटती जा रही है. जिसका नतीजा किसानों की नाराज़गी और उनका गुस्सा है.
आपको बता दें कि कपास की बिक्री शुरू होते ही भाव ₹8000 से अधिक हो गया, परंतु किसानों को भरोसा है कि उत्पादन में गिरावट और बढ़ती कीमतों की वजह से भविष्य में कपास की कीमतें बढ़ सकती हैं.
कपास की कीमतों में जल्द आएगा उछाल!
इसी वजह से मराठवाड़ा में कपास की आवक पर खास ध्यान दिया जा रहा है. इस साल कपास के रकबे में तेजी से गिरावट आई. वहीं सोयाबीन के रकबे में वृद्धि दर्ज की गई है, साथ ही बेमौसम बारिश और कीटों के कारण फसलों को नुकसान भी हुआ.
इस वजह से उत्पादन में कमी आई. सीजन की शुरूआत में कपास की कीमत ₹10000 प्रति क्विंटल थी. अब वर्तमान में कपास की कीमत ₹8000 प्रति क्विंटल है. किसान उम्मीद कर रहे हैं कि दोबारा से क़ीमत ₹10000 प्रति क्विंटल हो जाए. इस वजह से अब कपास के भंडारण पर जोर दिया जा रहा है.
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इस बार अगर खेती व्यवस्था पर नज़र डालें, तो इसमें कई सारे बदलाव देखे गए हैं. कृषि क्षेत्र में किसानों ने बढ़ती मांग और कीमतों को देखते हुए फसल की बुवाई की और रबी सीजन में भी कर रहे हैं. आपको बता दें रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं में इस साल गिरावट देखी गयी है. वहीँ, सरसों का उत्पादन इस साल अधिक दर्ज हुआ है. बढ़ती मांग के वजह से कीमतों में आई उछाल ने किसानों को अपनी और खींच लिया है. हर कोई अधिक मुनाफा कमाना चाहता है.
ख़ासकर अगर किसानों की बात करें, तो अधिक आय ना सिर्फ उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाती है, बल्कि मानसिक रूप से होने वाली परेशानियों से भी उन्हें आज़ादी दिलाती है.