मेला एक ऐसा समारोह है जहां व्यक्ति अपनी दिलचस्पी के हिसाब से चीज़ों को देखता और परखता है. किसको क्या पसंद आ जाए ये कहना मुश्किल है. ऐसे में वहां पर मौजूदा व्यापारियों के मन में भी ये बेचैनी चलती रहती है कि आखिर लोगों को क्या पसंद आएगा.
कुछ यही हाल कृषि मेला का भी रहता है. जिसके इंतज़ार में लाखों किसान हर साल राह देखते रहते हैं. अब आपके मन में कुछ बातें चल रही होगी कि आखिर कृषि मेला में होता क्या है?
आइए हम आपको बतातें हैं कृषि मेला से जुड़ी बातें. कृषि मेला जैसा की नाम से स्पष्ट हो रहा है कि यह कृषि और किसानों से जुड़ा होगा. यहां खेती-बाड़ी से सम्बंधित सभी चीज़ें रहती हैं. साथ ही अलग-अलग तरीकों से कैसे किसान अपनी खेती-बाड़ी कर मुनाफा कमा सकते हैं इस बात की भी जानकारी उन्हें वहां से मिलता है. वहीं, अगर पशुओं की भी बात करें तो अनेकों संख्या में पशु और उसके नस्लों को ख़रीदी की जाती है. कुछ ऐसा ही बैंगलोर में आयोजित चार दिवसीय कृषि मेला में देखा गया.
बैंगलोर में 11 नवंबर को चार दिवसीय कृषि मेले (Krishi Mela 2021) का आयोजन किया गया था. जहां मेले के आखिरी दिन कृष्णा सांड (Krishna bull) चर्चा का विषय बना रहा. कृष्णा को देखने और खरीदारों की भीड़ लगातार बढ़ती ही जा रही थी. आपको जानकर हैरानी होगी कि 3.5 साल का यह सांड, खरीदरों की पहली पसंद बना रहा.
सांड मालिक बोरेगौड़ा ने बताया कि यह हल्लीकर नस्ल का सांड है.इस नस्ल के सांड के स्पर्म यानी वीर्य की काफी ज्यादा डिमांड होती है. उन्होंने कहा कि वह इसके वीर्य की एक डोज 1 हजार रुपये में बेचते हैं. बोरेगौड़ा ने कहा कि हल्लीकर नस्ल के जितने भी मवेशी होते हैं वे ए2 प्रटोन वाले दूध के लिए जाने जाते हैं. सांड मालिक ने अफ़सोस जताते हुए कहा कि अब यह नस्ल धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है. कृष्णा सांड को खरीदने के लिए व्यापारियों ने हजार, लाख नहीं करोड़ रुपये तक की बोली लगाई. सांड मालिक ने बताया कि मेले में एक खरीदार ने कृष्णा सांड को 1 करोड़ रुपये में खरीदा.
कृष्णा की जब बोली लगाई जा रही थी तब मालिक की खुशी और उनका दुःख चेहरे पर साफ तौर पर दिख रहा था. बोरेगौड़ा ने कहा कृष्णा की उम्र भले ही साढे़ तीन साल की है लेकिन इसने अपने से बड़े उम्र के सांडों को पीछे छोड़ दिया. बोरे गौड़ा के मुताबिक यहां लगने वाले मेले में सामान्य तौर पर 1 से 2 लाख के बीच में ही सांड बिकते हैं. इतनी बड़ी बोली सांड के लिए कभी नहीं लगी. इस नस्ल के सांड की खासियत होती है कि उनका वजन 800 से 1000 किलोग्राम तक होता है और 6.5 फीट से लेकर 8 फीट तक की होती है.
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किसानों के लिए 550 से अधिक लगाए गए थे स्टॉल
मेले मे भाग लेने के लिए करीब 12 हजार से अधिक किसानों ने ऑनलाइन पंजीकरण कराया था. इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है की किसानों के बीच कृषि मेला का क्या महत्व है और वे इसे लेकर कितने उत्साहित रहते हैं.
इतना ही नहीं कई अन्य ने मेले में पहुंचकर भी अपना रजिस्ट्रेशन कराया. मेले में पशु, मुर्गी पालन, समुद्री खेती के अलावा खेती में पारंपरिक, स्थानिक और संकर फसल किस्मों, प्रौद्योगिकियों और मशीनरी उपकरणों को प्रदर्शित करने वाले 550 स्टॉल भी लगाए गए थे.